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________________ के काम आता है तो इससे माँ की भी छाती फूलती है। माँ अगर अपने स्वार्थ की सोचती है तो भाई का भी जी जलता है । जब रावण का वध हो जाता है, तो रानी मंदोदरी सोच लेती है कि अब उनके पति की लाश उसे शायद ही नसीब हो, क्योंकि रावण ने जिस व्यक्ति की पत्नी का अपहरण किया है, वह उसकी लाश को चील, कौओं, कुत्तों के आगे फेंक देगा। रानी मंदोदरी और सारे लंकावासियों के आँसू तक यकायक थम जाते हैं और वे तब सुखद आश्चर्य में डूब जाते हैं, जब राम रावण का शव सामने आते ही सम्मान में उठ खड़े होते हैं और अपने कंधे पर रखा उत्तरीय वस्त्र उतारकर रावण को ओढ़ा देते हैं । इसे कहा जाता है धर्म का व्यावहारिक और वास्तविक स्वरूप; धर्म और धर्म की मर्यादा को अपने जीवन में जीना । इसीलिए तो मैं कहता हूँ कि राम के भीतर राम को देखने की विशाल दृष्टि हर कोई पा लेगा, लेकिन जो रावण के भीतर भी राम को निहारने की अन्तर- दृष्टि पा ले, वही व्यक्ति मर्यादा, पुरुषोत्तम कहलाता है । भारत तो वह धर्म-धरा है कि जहाँ एक बेटा अपने माँ-बाप को अपनी कावड़ में बिठाकर सारे पुण्य तीर्थों की यात्रा करवाने का सौभाग्य पाता है । आज ऐसे श्रवणकुमारों की ही ज़रूरत है कि जो अपने बूढ़े माँबाप के मान-सम्मान और सेवाशुश्रूषा को अपने जीवन में अंगीकार कर ले। बूढ़े माँ-बाप की सेवा करना हममें से हर किसी इंसान का पहला धर्म है। त्यागी, तपस्वी कहलाने वाले महावीर भी यह संकल्प कर लेते हैं कि मैं ऐसा कोई काम नहीं करूँगा जिससे मेरे माता-पिता के हृदय को ठेस पहुँचे। अगर मेरे संन्यास लेने से भी मेरे माँ-बाप का हृदय आहत होता है तो मैं संन्यास भी उनके शरीर के त्याग के बाद ही लूँगा। मैं इसे कहता हूँ धर्म। धर्म वह नहीं है जो क़िताबों में कहा जाता है, धर्म वह है जो जीवन में धारण किया जाता है । धर्म की बातें मोटे-मोटे पोथो जितनी नहीं होती । धर्म की बातों को तो केवल एक पोस्टकार्ड में उतारा जा सकता है। धर्म को कहना सरल है पर उसको जीना कठिन 1 किसी ने मुझसे कहा नहीं लिख देते ?' मैंने कहा है ।' उस सज्जन ने मुझसे पूछा तारीख़ तो नहीं बताई जा सकती रहा हूँ ।' LIFE 134 'आप राम के इतने प्रसंशक हैं, तो आप अपनी नज़र से राम का चरित क्यों 'मैंने उनका जीवन चरित लिखने की कोशिश बहुत पहले ही चालू कर दी .' तो वह चरित कब तक पूरा होगा ?' मैंने जवाब दिया – 'कि उसकी क्योंकि मैं उसे काग़ज़ पर नहीं वरन् अपने स्वभाव और जीवन में अंकित कर — Jain Education International - — - 1. राम, जो जीवन में उतर जाए, वही धर्म है। बाकी तो हम हिन्दुस्तानी धार्मिक कम और धर्म की मोटी बातें ठोकने वाले ज़्यादा हैं । मेरे लिए रामायण आदर्श है। मैं तीन लोगों को अपने लिए आदर्श मानता हूँ 2. कृष्ण और 3. महावीर | राम जीवन के धर्म का पहला पगथिया है। घर-परिवार में कैसे जिया जाना चाहिए, राम और रामायण इसके लिए पहला आदर्श है। राम को जीवन से पहले जोड़ो। राम के बाद नंबर For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003860
Book TitleLife ho to Aisi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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