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________________ इंसान की सकारात्मकता है। सकारात्मक मनोदशा में उपजने वाली सोच ही सकारात्मक सोच है। सकारात्मक सोच यानी सकारात्मक विचार, सकारात्मक विचार यानी सकारात्मक वाणी, सकारात्मक वाणी अर्थात् सकारात्मक व्यवहार, सकारात्मक व्यवहार अर्थात् सकारात्मक रिश्ते-नाते। अच्छा सोचो, अच्छा बोलो, अच्छा बरताव करो।आपको भी वापस अच्छी सोच, अच्छे बोल और अच्छा बरताव मिलेगा। सकारात्मक सोच तो जीवन का प्रसाद है और नकारात्मक सोच जीवन का अभिशाप है। सकारात्मक सोच पुण्य और नकारात्मक सोच पाप है। समाज और मानवता का धर्म सकारात्मक सोच है। विश्व-प्रेम, विश्व-शांति और विश्व-आदर्श का वातावरण सकारात्मक सोच के छाँव तले ही बन सकता है। नकारात्मक सोच तो दुनिया को बाँटती है, तोड़ती है। नकारात्मक सोच यानी इंसान की तलवार और सकारात्मक सोच अर्थात् शरबत की प्याली। अरे, तलवार से किसी को मारा तो क्या मारा? यह काम तो कोई दुश्मन भी कर सकता है। किसी को मारना है तो शरबत की प्याली पिलाकर मारो, ताकि दुश्मनी ही समाप्त हो जाए। युद्ध लड़ो तो गाँधी की तरह कि गोली खाएँगे तो भी अमर हो जाएँगे। प्यार करना है तो जीसस की तरह करो कि सलीब पर भी चढ़ेंगे तो दुनिया को शांति और क्षमा का पाठ पढ़ा जाएँगे। जो इंसान सलीब की पीड़ा में भी शांति और क्षमा की भावना रखता है, और गोली खाकर भी हे राम कहता है, तो सचमुच यह इंसान की श्रेष्ठ सोच और श्रेष्ठ मानसिकता का ही परिणाम हो सकता है। छोटी और नकारात्मक सोच तो जीवन का विधर्म है। सांसारिक विपत्तियों को, सामाजिक और पारिवारिक विवादों को हल करने के लिए चाहे जितने मंत्र-तंत्र-यंत्र दिए जाते हों, वे सफल होते हों या निष्फल, इस पर तो कोई टिप्पणी करना ठीक नहीं है। लेकिन मैं भली-भाँति जानता हूँ कि सकारात्मकता का, पोजिटिवनेस का मंत्र आज तक कभी निष्फल नहीं गया। सकारात्मकता का मतलब है पहले ख़ुद झुको तो दुनिया झुकती है। दूसरे को झुका कर झुकना ही अगर आपकी फ़ितरत में हो तो कृपया मुझसे जीवन का यह मंत्र ले लीजिए कि पहले माटी में सौंधी महक़ उठती है फिर आसमान से बादल बरसते हैं। मेरी यह चमत्कारिक सलाह है कि आप सकारात्मक सोच के मंत्र को अपनाइए। यदि आप सास हैं तो बहू को बेटी मानने की सकारात्मकता अपनाइए, बहू हैं तो सास को माँ मानने की मानसिकता ग्रहण कीजिए। जिस घर में सास और बहू के बीच में सकारात्मक रुख बन चुका है उस घर को दुनिया की कोई भी ताक़त बरबाद नहीं कर सकती। जहाँ ये दो विपरीत ध्रुव आपस में हाथ मिला लेते हैं, वहाँ घर ख़ुद ही स्वर्ग बन जाता है। चाहे परिवार बिखरा हो, या समाज टूटा हो, आप केवल सकारात्मक सोच के मंत्र को अपनाइए, आपको निश्चय ही सकारात्मक परिणाम मिलेंगे। सकारात्मकता से धर्म, समाज, देश जुड़ेंगे और आतंकवाद और उग्रवाद का समाधान निकलेगा। भले ही भारत और पाकिस्तान अलग-अलग शामियानों में रहते हों, पर थोड़ा हम झुकें, थोड़ा वे झुकें और जहाँ 1120 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003860
Book TitleLife ho to Aisi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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