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________________ मुस्कान तो वह चंदन का तिलक है कि जिसके माथे पर लगेगा वह भी महकेगा और जो अँगूठा लगाएगा वह भी सुगंधित होगा। मुस्कान ऐसा पुष्प है जिसे देने या लेने में कुछ नहीं लगता फिर भी यह जिसे मिलता है उसे प्रसन्नता महसूस होती है। आपको उपहार तो रोज-रोज नहीं मिल सकते हैं और न ही दिये जा सकते हैं, लेकिन मुस्कान का उपहार हर दिन, हर समय दिया और लिया जा सकता है। दिन का प्रारंभ और समापन मुस्कान के साथ कीजिए ।जो भी कार्य करें मुस्कान के साथ शुरू कीजिए।दुकान खोलें तो पहले मुस्कुराएँ फिर शटर उठाएँ। अरे, मंदिर भी जाए तो मुस्कुराकर भगवान को प्रणाम करें, चित्त को हर्षित करें, आनन्द से भर जाएँ फिर भगवान की स्तुति करें ।मुस्कुराने को अपना स्वभाव बना लीजिए।हर हाल में मुस्कुराइये। अगर आपको ज़िंदगी में एक घंटे की ख़ुशी चाहिए तो जहाँ बैठे हो वहीं झपकी ले लो। एक दिन की ख़ुशी चाहिए तो ऑफिस से छुट्टी लगा लो। एक सप्ताह की ख़ुशी के लिए कहीं पिकनिक मना आओ, एक माह की ख़ुशी चाहिए तो शादी कर लो, एक साल की खुशी चाहिए तो किसी करोड़पति के गोद चले जाओ, पर अगर जिंदगी भर की ख़ुशी चाहिए तो हर हाल में मस्त रहने की और हर हाल में मुस्कुराने की आदत डाल लो। अपनी मस्ती को कभी खंडित मत होने दीजिए। अब तो लोग मुस्कुराना भी भूल गए हैं, तभी तो लतीफ़े सुनाये जाते हैं कि इसी बहाने थोड़ा-सा मुस्कुरा लें। अगर यूँ ही सदा मुस्कुराते रहें तो चुटकुला सुनाने की ज़रूरत नहीं होती है । मुस्कान स्वयं चुटकुला बन जाती है। अरे, मुस्कान से इतने भरे रहो कि कभी बगीचे में चले जाओ तो मुरझाये फूल भी खिल उठे। लीजिए, आप भी थोड़ा हँस लीजिए। ऐसा हुआ। मिस्टर चौपड़ा से किसी ने उनका पुराना मकान किराये पर लिया। एक दिन सुबह-सुबह ही किरायेदार आ धमका और चिल्लाने लगा, आपका मकान है या कबाड़खाना? हर समय चूहे इधर-उधर दौड़ते रहते हैं।' मिस्टर चौपड़ा ने कहा, 'तो क्या इतने कम किराये में आप घुड़दौड़ देखना चाहते हैं ?' ऐसा हआ। मिस्टर चौपडा की जवानी की बात है। कभी उन्होंने शादी की थी। उसी दिन की बात है। वे अपने पत्नी के साथ फोटो खिंचवा रहे थे। फोटोग्राफर ने फोटो लेने से पहले उनसे कहा, 'प्लीज़, ज़रा मुस्कुराइए, ताकि आपको याद रहे कि आप कभी मुस्कुराए भी थे।' ___अब बाद में तो आदमी मुस्कुराना भूल जाता है। घर-गृहस्थी के इतने झमेले, इतने टेंशन शुरू हो जाते हैं, इतने पापड़ बेलने पड़ते हैं कि नैसर्गिक रूप से मुस्कुराने का अवसर कम ही मिल पाता है। ऐसा हुआ। एक मज़ाकी प्रकृति का नाई था। किसी ने उसकी मज़ाक उड़ाने की ठानी। उसने उसकी मज़ाक उड़ाते हुए पूछा, क्यों भाई ! क्या तुमने कभी किसी गधे की हज़ामत बनाई है ? नाई ने विनम्रता से ज़वाब दिया, बनाई तो नहीं है बाबूजी ! पर आप बैठिए, कोशिश करके देखता हूँ।' AIMER 104 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003860
Book TitleLife ho to Aisi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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