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ध्यानयोग विधि- १
चौथी मुद्रा : तुला- आसन
तीसरी मुद्रा बायाँ पैर जो आगे रहा, उसे पीछे फैलाकर दायें पैर के पास ले लाएँ और हाथ-पाँव के बल शरीर को सीधा रखें- झुकी हुई तराजू की
तरह ।
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पाँचवीं मुद्रा : शशांक- आसन
पंजों और घुटनों के बल वज्रासन में बैठ जाएँ हाथ जमीन से लगे रहेंगे। सिर दोनों हाथों के मध्य रहेगा तथा ललाट भूमि पर । दोनों नितम्ब एड़ियों पर टिके रहेंगे ।
छठी मुद्रा : साष्टांग प्रणाम- आसन
पेट के बल उल्टा लेट जाएँ, हाथ सीधे सामने की ओर रखें । शरीर पूरा ढीला रखें। गर्दन को सीधा करें, ललाट जमीन से स्पर्श हो और प्रणाम-भाव के साथ तीन गहरी साँस लें ।
सातवीं मुद्रा : भुजंगासन
दोनों हथेलियों को पसलियों के पास धरती पर टिकाकर कन्धे और नाभि के हिस्से को साँस भरते हुए ऊपर की ओर उठाएँ - नागफन की तरह
आठवीं मुद्रा : धनुरासन
जमीन पर उल्टा लेट जाएँ। पैरों को घुटने से कमर की ओर मोड़ें । हाथों से पैरों को टखनों के पास पकड़ें। शरीर को दोनों ओर से भीतर खींचने का प्रयास करें। सिर ऊपर की ओर उठाएँ ।
*
नौवीं मुद्रा : पर्वतासन
साँस छोड़ते हुए हथेलियों को सामने फैलाकर जमीन पर रखें। पैरों को सीधा करें । कमर को धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाएँ । हाथ और पाँव के * सातवीं मुद्रा में भुजंगासन, आठवीं मुद्रा में पर्वतासन और नौवीं मुद्रा में शशांक- आसन भी मान्य हैं ।
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