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________________ हमारा प्रवेश हो, हम अतिमानस को उपलब्ध करें। मानस, मन से ऊपर उठ जाने की स्थिति है। अन्तर-मन की पवित्रतम, सुन्दरतम स्थिति का नाम है यह। एक प्रकार से अन्तर-लोक का यह पर्याय है। रामचरित के साथ मानस को जोड़ने के पीछे यही उद्देश्य है। अवसर आने पर ही सब कुछ होता है पर आपकी ओर से तैयारी पूरी रहनी चाहिये। परिपक्व समय आने पर ही बीज में से फूल उगते हैं। वक्त पर होना ही ठीक है। बादल चाहे आज बरसे या फिर कभी; हम कम-से-कम अपनी ओर से अपना घड़ा सीधा रखें। जरा सोचो, बदरिया के बरसने का क्या मतलब होगा अगर हम घड़े को उल्टा रखकर बैठे हो। आनंदघन पर मैं इसीलिए बोल रहा हूँ ताकि घड़ा सीधा हो जाये। फिर से कोई चैतन्य हो उठे, फिर से कोई मीरा हो जाये। फिर से सावन की बदरिया झूम उठे। मोर नाचने लगें, फूल खिल-खिल पड़ें। आम की कलियां बौरा उठे। कोयल की तान फूट पड़े। हवाएं महक जायें। सद्गुरु वह है, जो मनुष्य का कायाकल्प कर दे। वह दृष्टि दे दे, जिससे संसार की आत्मा को देखा जा सके। अपनी आत्मा को तो देखना है ही, संसार की आत्मा भी देखनी है। जिससे सत् मिले, वह सद्गुरु। शेष सारे कुलगुरु। जो बरसे सो बादल, जो समकित दे, वह सद्गुरु। सद्गुरु की यह पहचान है कि वह अपने शिष्यों के जीवन को आत्म-कल्याणक, उत्सव बना दे, आत्मोत्सव में शरीक कर ले, अपने जैसा बना ले। इसीलिए जिओ उनके साथ, जिन्होंने अन्तर् के आकाश में विहार कर जीवन की गहराइयों को जाना है। ऐसे लोगों के पास बैठो, जिनकी संगति से हमारे अंतर-जगत् में उजाला हो जाए। चलो तो उनके साथ जिन की आत्म-मित्रता से हमारे अंतर-मन में शांति और आनन्द का निर्झर झर पड़े। ___ गुरु अपनी ओर से शांति की बीन बजाता है। एक ऐसा दीप-राग छेड़ता है जिससे घट-घट में समाया हुआ प्रकाश अचानक अपने आप उजागर हो जाता है। कहावत है कि परमात्मा के दरबार में देर हो सकती है मगर अंधेर नहीं हो सकती। बात सच है पर यह देरी परमात्मा की ओर से नहीं है। देरी परमात्मा और सद्गुरु की ओर से नहीं, शिष्य की ओर से है। अंधकार हमारे पास है। वहाँ तो उजाला संगत, सनेही संत की/८६ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003857
Book TitleSo Param Maharas Chakhai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1999
Total Pages128
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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