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पद
जगत गुरु मेरा, मैं जगत का चेरा। मिट गया वाद-विवाद का घेरा।। गुरु के रिधि-सिधि सम्पत्ति सारी । चेरे के घर खपर-अधारी।। गुरु के घर सब जरित-जरावा। चेरे की मढ़िया में छप्पर-छावा ।। गुरु मोहे मारे सबद की लाठी। चेरे की मति अपराध नी काठी।। गुरु के घर का मरम न पावा । अकथ-कहानी आनंदघन बाबा।।
जगत् गुरु मेरा/४८
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