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________________ है बल्कि अपने हाथ से खर्च करना है। अगर आर्थिक रूप से आप अधिक सक्षम नहीं हैं तो आप अपनी जिस कला में, फन में माहिर हैं या शिक्षा में रुचि रखते हैं तो किसी एक को एक वर्ष में अपने फन से शिक्षित अवश्य कराएँ। बच्चों को, बड़ों को जिसको भी सिखा सकते है, आप ज़रूर सिखायें। जब आप किसी को सिखाते हैं तो अनायास ही आप उसके गुरु हो जाते हैं। पारस्परिक सौजन्य से भी हम गरीबी को दूर कर सकते हैं। अपंग, विकलांग और दृष्टिहीन भी कुछ-न-कुछ करने में समर्थ हैं। एक प्यारी-सी घटना है। ____एक पोस्टमैन किसी एक घर के दरवाजे पर दस्तक देता है और कहता है, 'बेबी, तुम्हारे नाम की चिट्ठी आई है, उसे ले लो। बेबी ने कहा, 'आई।' तीन-चार मिनट तक कोई न आया तो डाकिया फिर चिल्लाया, 'अरे भाई, मकान में कोई है क्या, अपनी चिट्ठी ले लो।' आवाज सुनकर लड़की को लगा कि ज़रूर यह कोई नया डाकिया आया है जिसे कुछ पता नहीं है। उसने कहा, 'डाकिया साहब, दरवाजे के नीचे से अंदर चिट्ठी डाल दीजिए, मैं आ रही हूँ।' डाकिये ने कहा, 'नहीं, मैं खड़ा हूँ, रजिस्टर्ड चिट्ठी है, साइन करवा के वापस ले जाना है।' वह बच्ची तेजी से चलकर आई फिर भी सात मिनिट तो लग ही गए। उसने धीरे से दरवाजा खोला। डाकिया अभी तक तो उस पर झल्लाया हुआ था लेकिन जैसे ही दरवाजा खुला, वह चौंक गया। उसने देखा कि एक अपाहिज़ कन्या जिसके दोनों पाँव ही नहीं थे, सामने खड़ी थी। डाकिया कुछ न बोला। वह चुपचाप पत्र देकर और उसके साइन लेकर चला गया। हफ़्ते, दो हफ्ते में जब कभी उस लड़की के लिए डाक आती, वह डाकिया आता, चिट्ठी के लिए एक आवाज़ देता और जब तक वह बच्ची न आती तब तक खड़ा रहता। एक दिन बच्ची ने देखा, बहुत तेज धूप पड़ रही है और डाकिया नंगे पाँव आरहा है। उसने महसूस किया कि डाकिये के पास जूते या चप्पल पहनने को नहीं हैं। दीपावली नजदीक आ रही थी। उसने सोचा कि इस दीपावली पर डाकिये को क्या इनाम दूं, क्योंकि कुछ इनाम तो जरूर देना ही है। वह सोचती रही। एक दिन डाकिया जब उसकी चिट्ठी डालकर चला गया तो वह धीरे-धीरे सीढ़ियों से उतर कर नीचे आई और जहाँ मिट्टी पर ८० वाह! ज़िन्दगी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003856
Book TitleWah Zindagi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2005
Total Pages114
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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