SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 32
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हमारा जीवन बना है । समय है तो ही जीवन है। अगर समय ही न हो तो जीवन है। बीता हुआ समय लौटकर नहीं आता । देवता अगर रूठ जाएँ तो उन्हें मना सकते हैं पर समय रूठ गया तो उसे लौटाकर वापस नहीं ला सकते। इसलिए समय का प्रबंधन कीजिए। जीवन बहुत मूल्यवान है लेकिन समय के प्रबंधन के साथ। अगर आप समय का अपव्यय करते हैं तो मान लीजिए कि यह जीवन का अपव्यय है । प्रत्येक कार्य के लिए समय का समुचित विभाजन कीजिए। स्वयं को व्यस्त रखिए। खाली दिमाग़ नहीं रखें। बेकार बैठा हुआ व्यक्ति शैतान का घर होता है । अपने समय को व्यवस्थित कीजिए । हर नया दिन ईश्वर की ओर से मिलने वाला एक उपहार है । आप हर दिन को सार्थक कीजिए । जीवन की सार्थकता प्रत्येक दिन को सार्थक करने में है। मृत्यु जब आएगी तब आएगी, लेकिन जब तक जीयो, हर दिन सार्थक करते हुए जीओ । निरर्थक रूप से सौ साल जीने से बेहतर है कि सिंह जैसे चार ही दिन जिया जाए । मरना कोई नहीं चाहता, लेकिन हम जीवन का मूल्यांकन नहीं करते कि हमने अब तक जो जीवन जीया, उसमें क्या खोया और क्या पाया? हम सभी सोचें कि मरने से पहले कुछ होकर मरें तो जीना सार्थक है अन्यथा व्यर्थ का जीवन तो जीवित लाश को ढोने की तरह है । हमारे लिए एक-एक दिन मूल्यवान और सार्थक होना चाहिए । जीवन में एक वर्ष की क्या कीमत है, यह उस विद्यार्थी से पूछो जो परीक्षा में फेल हो गया है। एक माह की कीमत उस महिला से पूछो जिसके आठ माह का बच्चा अपरिपक्व पैदा हुआ है। वह बताएगी कि एक माह और गर्भ रह जाता तो पूर्ण विकसित बच्चा पैदा होता और वह मंदबुद्धि नहीं होता । एक दिन का मूल्य दैनिक वेतनभोगी श्रमिक से पूछो कि जिस दिन वह काम न करे उस दिन सांझ को घर में चूल्हा ही न जले। एक घंटे की कीमत किसी सिकंदर से पूछो जिसने मरने के पूर्व कहा था कि मुझे जीवन में एक घंटे की मोहलत मिल जाए तो मैं आधा साम्राज्य दे दूँगा । एक मिनिट की कीमत उस व्यक्ति से पूछिए जो वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के ध्वस्त होने के ठीक एक मिनिट पहले बाहर निकल आया। जीवन में एक सैकेण्ड की कीमत क्या होती है, यह उस ओलम्पिक खिलाड़ी से पूछिए जो मात्र एक सैकेण्ड पीछे रह जाने के कारण कैसे करें स्वयं का प्रबंधन ? २५ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003856
Book TitleWah Zindagi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2005
Total Pages114
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy