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लकवाग्रस्त हो गई थी। उसके पाँव में ब्रेसेज लगे थे। वह बैसाखियों के सहारे चलती थी। उसे काला बुखार और निमोनिया भी हो गया था। नौ वर्ष की आयु में उसने संकल्प लिया कि वह ताउम्र बैसाखियों के सहारे नहीं चलेगी। भले ही उसे हजार बार क्यों न गिरना पड़े पर अब वह अपने पाँवों और हाथों के बल पर ही चलेगी। जिस दिन उसके मन में यह विचार उठा, उसी दिन उसने अपनी बैसाखियाँ फेंक दी। वह लड़खड़ाती हुई चलने लगी। तेरह वर्ष की आयु में उसने एक-एक सीढ़ी चढ़ना शुरू किया। आप सुनकर चकित रह जाएंगे कि १९६० के ओलम्पिक में उसने दौड़ में तीन स्वर्ण पदक प्राप्त किए। ___कोई अपने जीने के तौर-तरीकों में बेहतरीन नज़रिया और मज़बूत मानसिकता ले आए तो वह अपने जीवन में ऊँचाइयों को छू सकता है। व्यक्ति के जीवन की सफलता में जो सबसे बड़ी उपयोगी चीज है, वह है मैनेजमेंट, अर्थात प्रबंधन। व्यक्ति से लेकर व्यापार, विद्यार्जन से लेकर राजनीति, समाज से लेकर अन्तरराष्ट्रीय संस्थान-सबकी सफलता के पीछे प्रबन्धन-शैली ही आधार बनती है। आज एम.बी.ए. उत्तीर्ण करने वाले लोग भली-भाँति जानते हैं कि व्यावसायिक सफलता के लिए प्रबंधन कितना महत्त्वपूर्ण है। व्यावसायिक सफलता के लिए भले ही एम.बी.ए. हो जाना उचित हो लेकिन जीवन के प्रबंधन के लिए व्यवसाय का प्रबंधन मात्र एक चरणभर है। जीवन हर व्यवसाय से ऊपर है। हर मूल्य से ऊपर उसका मूल्य है।
आज मैं आपको लाइफ़ मैनेजमेंट की बातें इसलिए कहूँगा कि वह मात्र व्यवसाय की नहीं बल्कि जीवन की सफलता से जुड़ी हुई हैं। स्वयं का प्रबंधन, स्वयं को व्यवस्थित करना जीवन की महान् साधना है। औरों को अनुशासन में रखना किसी के लिए भी आसान हो सकता है, पर स्वयं को अनुशासन में रखना, अनुशासन की सीख देने वाले आचार्य के लिए भी कठिन होता है। हर व्यक्ति दूसरों को तो व्यवस्थित देखना चाहता है पर मैं संकेत देना चाहूँगा कि व्यक्ति दूसरों का प्रबंधन करने से पहले स्वयं का प्रबंधन करे। औरों को व्यवस्थित करना प्रत्येक व्यक्ति की अपेक्षा और ख्वाहिश होती है, पर स्वयं को व्यवस्थित करना बहुत बड़ी चुनौती है। कैसे करें स्वयं का प्रबंधन ?
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