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टॉलस्टाय ने मरने से पहले कहा था कि मेरी पत्नी को तब तक ख़बर न दी जाए, जब तक मैं मर न जाऊँ। क्योंकि अगर वह मेरे सामने होगी, तो वह शांति से मुझे मरने भी न देगी। जिसने मुझे शांति से जीने न दिया, वह शांति से मुझे मरने कैसे देगी? यह झगड़ालू प्रकृति के दम्पति की कहानी है। वहीं मार्क ट्वेल ने पत्नी को श्रद्धाजंलि देते हुए लिखा है कि वह मेरे साथ जहाँ भी होती, मेरे लिए वहीं स्वर्ग होता। आप एक ऐसी महिला बनिये कि आपके पति भी
आपके लिए यही नज़रिया बनाए कि तुम जहाँ हो, वहीं स्वर्ग है। ___अभी देवर-भाभी के संबंध बचे हैं, भाई-भाई के संबंध बचे हैं। ये सभी लोग मिलकर जब परिवार को संचालित करते हैं तो कोई प्रेम, कोई त्याग, कोई आत्मीयता, कोई सहभागिता का अवदान देता है तभी परिवार एकजुट रहकर आदर्श बनता है। क्या आपको भारतीय संस्कृति मर्यादा का स्मरण है ? जब सीता जी का अपहरण हो जाता है तो राम को वन में उनके आभूषण मिलते हैं। राम सीता का हार लक्ष्मण को दिखाकर पूछते हैं, क्या तुम इसे पहचानते हो?' लक्ष्मण कहते हैं, 'क्षमा करें भैया, मैं इसे नहीं पहचान पा रहा हूँ।' 'क्या यह सच है कि तुम नहीं पहचान रहे हो?' लक्ष्मण कहने लगे, भैया, मैंने तो जब भी देखा, भाभी के चरणों को ही देखा है। हाँ, आप भाभी के पैरों की पायल ले आएँ तो मैं पल भर में पहचान लूँगा। मैंने पांवों से ऊपर भाभी को नज़र उठाकर कभी नहीं देखा है।'
कैसे बतलाऊँ क्षमा करो, भैया यह हार न देखा। मैंने जब भी देखा, भाभी के चरणों को ही देखा। वे लाल वरण, भाभी के चरण, मेरे तीर्थधाम कहलाए। श्री राम लखन ले व्याकुल मन, कुटिया में लौट जब आए॥
ये सब मर्यादाएँ हैं, जिनमें घर-परिवार के स्वर्ग का रहस्य छिपा है। मैं जो बातें कर रहा हूँ वे हम सब के लिए हैं।
देवर-भाभी, भाभी-ननद, देवरानी-जेठूती-सबके बीच में प्रेमभरा, पारस्परिक सौहार्दपूर्ण व्यवहार हो। चार-दीवारों का मकान घर नहीं होता, पास्परिक प्रेम, त्याग और मर्यादा का नाम घर है। घर का निर्माण, परिवार का १४
वाह ! ज़िन्दगी
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