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________________ चाहता हूँ कि आप लोगों का घर स्वर्ग का प्रतिनिधि घर बन जाए। मातापिता, बुजुर्ग सभी अपने-अपने दायित्व निभाएँ। न जाने कितनी आस, आरजू से घर में बच्चे का जन्म होता है, उसे मारे-पीटे नहीं, अपने टीटू के कान मरोड़े नहीं। वह आपका टीटू है, टटू नहीं। अपशब्दों का प्रयोग न करें। शराब, सिगरेट जैसे दुर्व्यसन न करें। ऐसा कुछ भी न करें और न कहें जिनसे बच्चों पर गलत संस्कार आएँ। बच्चों का जीवन आईने जैसा होता है। वह जो जैसा देखेगा, वैसा ही पुन: आपको दिखाएगा। बच्चे कैमरे की भाँति हर चीज को अपने अंदर उतार लेते हैं और समझ आने पर वापस उसे ही दिखा देते हैं एकदम चलचित्र की तरह! समाजका अध्यक्ष बन कर समाज का संचालन करना आसान हो सकता है लेकिन घर का अभिभावक होकर अपने घर के बच्चों का पालन-पोषण करना कठिन होता है। देश के प्रधानमंत्री के लिए शायद देश का संचालन करना सहज हो, पर अपने ही बेटे को सुसंस्कारित करना देश को संचालित करने से भी मुश्किल काम है। पिता इसीलिए तो आदरणीय होते हैं क्योंकि वे हमें अपने पाँवों पर खड़ा होना सिखाते हैं। केवल उपदेशक न बनो, कर्ता बनो। जो शिक्षाप्रद बातें आपने अपने बच्चों, नाती, पोतों से कही हैं उनके उदाहरण स्वयं बनो। जब बच्चे आपको वैसा ही करता हुआ देखेंगे तो वे स्वयं भी वैसा ही अनुकरण करेंगे। बच्चों के लिए सिर्फ पैसा ही खर्च न करें, उन पर अपने समय का भी निवेश करें। आप उन्हें ऐसे संस्कार दीजिए कि सभी उस पर गर्व कर सकें। हाँ, अगर आपको लगता है कि बच्चा भटक रहा है तो उसे लताड़ने का भी हक़ रखें। गलत कार्यों के लिए बच्चों को संरक्षण न दें। ___ “ऐसा हुआ कि एक अमीर व्यक्ति के घर पर आधी रात के समय पुलिस ने दस्तक दी। मकान-मालिक उठा और उसने घर के बाहर पुलिस को खड़ा देखा। वह चौंक गया कि उसके घर पर पुलिस का क्या काम? उसने दरवाजा खोला और पूछा, 'किसलिए आना हुआ?' पुलिस इंस्पेक्टर ने एक फोटो दिखाते हुए पूछा, 'क्या आप इसे जानते हैं?' मकान-मालिक ने कहा, 'यह तो मेरा ही बेटा है। क्यों, क्या हुआ?' इंस्पेक्टर ने बताया, 'आज आपका बेटा इंडिया गेट के पास कुछ लड़कियों से छेड़खानी करते हुए पाया गया, वाह ! ज़िन्दगी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003856
Book TitleWah Zindagi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2005
Total Pages114
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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