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श्रीमहावीरजन्मानिषेक. ४५ खलनलिउँ पायाल ॥ विषहर घणुं डोले नागिणी बोले कवण एह अकाल॥चलणंगुलि चालिहिं मजण कलिहिं सुरगिरि कंपिय पेखि ॥ नमुणीन ममंदिहिं पत्नणीउ इंदहिं वीर जिणेसर ररिक ॥ १३॥ आर्या ॥ आकंपियं तिहुश्रणं, इंदो नाकण महिनाणेण ॥ खामेश् महावीरं, जाणीतु परक्कम तस्स ॥१४॥ ता धोंधों धुधुमि धुमि इंगिगटि जयढक वजियला ।। कटदोंगि दोंदों त्रिषुनी त्रिषुनिय घुघुमि घुघुमि रमदला ॥ ता फर फरर फरकति वजति था उज जागमदिगि जागडदिगि जम्बरी ॥ ता दगमदितिकि दोंदों तिविलि वाजति इंनि दिगिनिदिगिमिरी॥१५॥ता 3 संख वाजति ताल रिमजिम चमकता, ता किरिरि किरिरिकरडति करडी सुमतकाहल रमिजिमि रमकताता जिजिमिरुग्मां जिजिमिरुग्मां जिजिमि जिमि कंसाल ए ॥ ता दांगी दागमर्दिगि दांदा वीण लीलहिं लाल ए॥१६॥ इम इंद मिलि हुणि कलश नरिहणि सुरनि निरह नरियला ॥ सिरि वीरनाह ह मेरुमबई जिजिमि रिमि जिम एहवणुला॥ता अनेक मंगल तक करहुणि वीरजीणणिहिं श्रप्पी, ता सयल सुरवर गमि चहुतली रंग जण
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