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________________ विविध पूजासंग्रह जाग प्रथम. ॥ ६ ॥ तरकणे चलिय सिंहास सुरवई, घंटनाए तिहिं सयल सुर मेलई || पालगारूढ जिए जम्म गिहि यावि, पंच रूवे करी रिसह मेरु नि ॥ ७ ॥ ॥ वस्तुबंद ॥ द तत्रय इंद तत्रय, वीस जवलिंदा वंतर पहुबतीस डुख, चंद सूर कपिंद दस वर, चसहश्र मिलिया हरि, एहवइ नाह बहुजत्ति निनर, सहस च सहिजु, पंचवन्न कलसेहिं ॥ हव सोहम्मन जिए एहव, तं प्पन संखेवि ॥ ८ H ॥ ढाल ॥ (चाल) इसालिंद जिए उछंग लेइ, चन धवल वसह सुरवइ करे ॥ तसु सिंगिहिं सुगंध धार, जल निवमई सुर तियलोय सार ॥ ए ॥ वाजंतइ मद्दल तिवलनाद, वर जहरी जुंगल नेरी साद ॥ गाजंत अंबर देवी देव, जिए मजिय नच्चिय कर सेव ॥ १० ॥ पूजश् वर कुसुमहिं रिसहनाह, बहुजत्ति जावे दुइ सनाह || आरति मंगलदीवुखेव, उत्तार सुरवइ रंग देव ॥ ११ ॥ वस्तुछंद ॥ रिसहमऊण रिसहमकण करिय सुरराय, उप्पा मिय जयजय करिय, जणणि पासि मिल्देवि जत्ता, नंदीसर दिवस करिय, देव देवी निय ठाण पत्ता, इषि परि सयल जिणेसरहिं, करहु न्हवण बहुजत्ति मुणि For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org Jain Educationa International
SR No.003855
Book TitleVividh Puja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages512
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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