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विविध पूजासंग्रह जाग प्रथम. ॥ गीत ॥ राग मेघमल्लार ॥
॥ मेहुला ज्युं मली वरसे, करो फूलपगर दर्षे ॥ मेहु० ॥ पंच वर्ण जानुमाने, समवसरण जेम सुर मली, तेम करे श्रावक लोक, द्वादशमी एम जिन पूजतां, जन मन मुद परसे ॥ मेहु० ॥ १ ॥ जमरपें कहावती उमते, जानु अधो वृंद पडते, ताप अधोगति नांहिं, जो हम पर प्रभु यागल पडे ॥ हम परे तस नहीं पीमा, कुसुमपूंज कहे सुख लहे, दिन दिन जरा चढते || मेहु० ॥ २ ॥ इति द्वादश कुसुममेघपूजा समाप्ता ॥ ॥ त्रयोदश अष्टमांगलिकपूजा प्रारंभः ॥ ॥ वसंतरागेण गीयते ॥
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॥ रयणहीरा जिशां, शालि वर तंडुला, वर फल्या ए ॥ स्वस्तिक दर्पण, कुंन जद्रासन, शुं मल्या ए ॥ नंदयावर्त्तक, चारु श्रीवत्सक, वर्द्धमानं ॥ मत्स्ययुगलं लिखी, अष्ट मंगल अखे, शोजमानं ॥ १ ॥ ॥ गीत ॥ राग वसंत ॥
॥ जिनप आगल विरचो जवि लोइ, जसु दर्शन शुन होइ, ज्युं रे देख सब कोइ ॥ जिन० ॥ अतुल तंडुल करी, अष्ट मंगलावली, तेम करो जेम तुम घरे फरी
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