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________________ श्री धर्मचंद्रजीकृत नंदीश्वरद्वीपपूजा. ॥ कलश ॥ राग धन्याश्री ॥ ॥ गायो गायो रे नंदीसर तीर्थ में गायो, जंघा विद्याचारण मुनिवर, जिहां सुरनो समुदायो ॥ किन्नर किन्नरी खेचर यावे, तेम चोसठ सुररायो रे ॥ नंदी० ॥ १ ॥ श्रपरा इंद्राणी मनरंगे, स्नात्र करे सुखदायो || करे नृत्य सुकंठे गावे, जिन पूजी मोह घटायो रे ॥ नंदी० ॥ २ ॥ तपगछपति श्री दयासू रिना, खुशाल विजय उवकायो ॥ तास बंधव सुगुण गीतारथ, कल्याणचंद्र सवायो रे ॥ नंदी० ॥ ३ ॥ विजयदेवेंद्र सूरीश्वरराज्ये, ए अधिकार रचायो ॥ दमण बंदरे रही चोमासुं, रूपनदेव सुपसायो रे ॥ नंदी० ॥ ४ ॥ अढारसें बन्नुं जाऊपद मासे, संववरी दिन गायो ॥ प्रभु समुदाय कवि धर्मचंद्रे, संघ सकल हरखायो रे || नंदी० ॥ ५ ॥ इति एकादशा निषेके एकादशं पूजा संपूर्णा ॥ ११ ॥ ॥ इति क विधर्मचंद्रजीकृता श्रीनंदीश्वरद्वीपपूजा समाप्ता ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only ३१ www.jainelibrary.org
SR No.003855
Book TitleVividh Puja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages512
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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