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श्रीधर्मचंजीकृत नंदीश्वरछीपपूजा. ३१३ ॥ म ॥ ७॥ जंबू प्रमुख तरुए वली ॥ म०॥ चैत्य अग्यारसे सित्तेर ॥ म ॥ चालीश हजार ने चारसें म ॥ लाख पूजीने त्यो शिवशर ॥ म०॥७॥ चैत्य हजार कंचन गिरिए ॥ म॥बिंब लाख ने वीश हजार ॥ म ॥ एंशी अहे एंशी देहरांम०॥ बन्नुसे बिंब जुहार ॥ म० ॥ ए ॥ चैत्य कुंडे त्रणसें एंशी ॥ म० ॥ बिंब पीस्तालीश हजार ॥ म ॥ उपरे उसे जिनवरा ॥ म ॥ समरो उठी सवार ॥ म॥१०॥ महानदीए सित्तेर कह्याम॥चोराशीसें अरिहंत म ॥ वीश प्रासाद यमक गिरे ॥ म ॥ चोवीशसें लगवंत ॥ म० ॥११॥ वृत्तवैताढये वीश ॥ म० ॥ शाश्वतां जिनगेह ॥ म ॥ बिंब चोवीशसें पूजतां ॥ म० ॥ थाये निर्मल देह ॥ म ॥ १२॥
खुकारे चार देहरां ॥ म ॥ चारसें एंशी जिनबिंब ॥ म ॥ ते जिनवरने पूजतां ॥ म० ॥ पाप जाये अविलंब ॥ म॥१३॥मानुष्योत्तरे चार देहरां ॥म॥ चारसे एंशी नगवान॥म॥व्यंतर मांहे असंख्य ले ॥ म ॥ जिनघर बिंबनुं मान ॥म० ॥१४॥असंख्य ज्योतिषीमां कह्यां ॥ म॥ जिनघर ने जिनराय ॥म॥धर्म कहे प्रनु पूजतां ॥म॥ शिवसुख वहेलु
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