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विविध पूजासंग्रह जाग प्रथम.
वाद अनुयोग || म० ॥ दोय ने करी शीखीयो ॥ म० ॥ जंबू गुरु संयोग ॥ म० ॥ १ ॥ पंचम नेदे चूलिका ॥ म० ॥ पहेले पूर्वे चार ॥ म० ॥ बार ने श्राव दश चूलिका ॥ म० ॥ चोथा पूरव लगे सार ॥ म० ॥ २ ॥ दश पूरवे नयी चूलिका ॥ म० ॥ नंदी सूत्र विचार ॥ ० ॥ दृष्टिवाद ए बारमुं ॥ ०॥ अंग हतुं सुखकार ॥ म० ॥ ३ ॥ बार वरस डुकालीए ॥ म० ॥ बारमुं अंग ते लीध ॥ ० ॥ संप्रतिकाले नवि पडे ॥ म० ॥ हवो काल प्रसिद्ध ॥ म० ॥ ४ ॥ मंदमति परमादथी ॥ म० ॥ पूर्व गयां अविलंब ॥ म० ॥ श्री शुज - वीरने शासने ॥ म० ॥ पूजो आगम जिनबिंब ॥ म० ॥ ५ ॥ इति प्रथम जलपूजा समाप्ता ॥ १ ॥ ॥ अथ द्वितीय चंदनपूजा प्रारंभः ॥ ॥ दोहा ॥
॥ दवे पीस्तालीश वरण, कलियुगमां आधार ॥ आगम अगम अरथ जयां, तेहमां अंग अग्यार ॥ १ ॥ ॥ ढाल ॥ इमन रागिणी, धन धन जिनवाणी ॥ ए देश ॥ ॥ ॥ चंदनपूजा चतुर रचावो, नागकेतु परे जावो रे ॥ धन धन जिनवाणी ॥ राय उदाइ प्रजुगुण गावे,
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