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श्रीदेवचंद्रजीकृत स्नात्रपूजा. केशरी सिंह, लक्ष्मी तिही श्रवीद ॥ अनुपम फूलनी माल, निर्मल शशी सुकुमाल ॥ २ ॥ तेजे तरणी यति दीपे, इंद्रध्वजा जग जीपे ॥ पूरण कलश पंडूर, पद्म सरोवर पूर ॥ ३ ॥ अग्यारमे रयणायर, देखे माता गुण सायर ॥ बारमे जुवन विमान, तेरमे अनुपम रत्ननिधान ॥ ४ ॥ अग्निशिखा निरधूम, देखे माताजी अनुपम || हर्षी रायने जाषे, राजा धरथ प्रकाशे ॥ २ ॥ जगपति जिनवर सुखकर, होशे पुत्र मनोहर || इंद्रादिक जसु नमशे, सकल मनोरथ फलशे ॥ ६ ॥
॥ वस्तु छंद ॥
॥ पुण्यउदय पुण्य उदय, उपना जिननाह, माता तत्र रयणी समे, देखी सुपन हरखंती जागीय ॥ सुपन कही निज कंतने, सुपन अरथ सांजलो सोनागीय ॥ त्रिभुवन तिलक महागुणी, होशे पुत्र निधान ॥ इंद्रादिक जसु पाय नमी, करशे सिद्धि विधान ॥ १ ॥ ॥ ढाल ॥ चोथी ॥ चंद्रावलानी देशीमां ॥
॥ सोहमपति शासन कंपीयो ए, देश अवधि मन दीयो ए॥ निज खतम निर्मल करण काज, जव
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