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________________ रए६ विविध पूजासंग्रह नाग प्रथम. बत्र धरे शिर नाथ ॥ प्रजु० ॥६॥बे बाजु चामर ढाले, एक बागल वज्र जलाले ॥ जश् मेरु धरा उत्संगे, इंछ चोस मलीया रंगे ॥ प्रजु ॥७॥ हीरोदक गंगा वाणी, मागध वर दामनां पाणी॥ जाति थाना कलश जरीने, अढीसें अनिषेक करीने ॥प्रजु ॥ ॥ दीवो मंगल आरति कीजे, चंदन कुसुमे करी पूजे॥गीत वाजितना बहु गठ, श्रालेखे मंगल आठ॥प्र ॥ए॥इत्यादिक उत्सव करता, ज माता पासे धरता॥ कुंमलयुग वस्त्र उशीके, दमो गेमी रतनमयी मूके॥प्रजु०॥१०॥ कोमि बत्रीश रत्न रूपैया, वरसावी इंज उच्चरीया ॥ जिनमाताशं जे धरे खेद, तस मस्तक थाशे बेद ॥ प्रजु ॥ ११ ॥ अंगुठे अमृत वाही, नंदीसर करे अग॥दे राजा पुत्र वधाइ, घर घर तोरण विरचा ॥प्रनु० ॥१२॥ दश दिन उंचव मंमावे,बारमे दिन नात जिमावे॥नाम थापे पार्श्वकुमार,शुनवीर विजय जयकार॥प्रजु॥१३॥ ॥ काव्यं ॥ नोगी यदा ॥१॥ ॥अथ मंत्रः ॥ ॥ ॐ ही श्री परम ॥ जलं य०॥ वा ॥ ॥ इति जन्मकल्याणके चतुर्थ जलपूजा संपूर्णा ॥४॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003855
Book TitleVividh Puja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages512
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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