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विविध पूजासंग्रह जाग प्रथम. उत्तरपयडि नीहालवा, दीपकपूजा रचाय ॥ १ ॥ ॥ ढाल पांचमी ॥ साहिबा मोती द्यो हमारो ॥ देश ॥
॥ दीपकपूजा ज्योति जगावं, उत्तरपयमि तिमिर हरा | साहिबा तें थितिबंध खपाव्यो, सेवकनो दवे लाग ते फाव्यो | साहिबा संसार अटारो, मोहना मुज तारो ॥ १ ॥ एांकणी ॥ सुहुम विगलतिग बंध अढार, मागे पन्नर अवधार ॥ संघयपागिश् जुगल करीश, दश उपर डुग वुढी वीश ॥ सा० ॥ २ ॥ सुरभि मधुर शीत शुन च फासा, थिर ब सुगइ सुरडुग दश खासा ॥ पीताम्ले वली रक्त कषाये, नील कटुक वली कृष्ण तीखाये ॥ सा० ॥ ३ ॥ साडा बार पन्नर युग एके, साडा सत्तर वीश उवीए विवेके ॥ वै निरय तिरि उरल डुगंका, ते पण अथिर ब तस सास चक्का ॥ सा० ॥ ४ ॥ यावर कुखगइ जाति पणिं दि, पाप फरस डुरगंध एगिंदि ॥ बत्तीस पयमिने वीशशुं जोडी, सघले सागर कोड कोडी ॥ सा० ॥ ५ ॥ आहारकडुग जिननाम करतो, सागर एक कोडाकोडी तो ॥ जो जिननाम निकाचित कीजे, तो शुनवीर हुआ जव त्रीजे ॥ सा० ॥ ६ ॥
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