SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 134
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १५६ विविध पूजासंग्रह नाग प्रथम. ॥अथ मंत्रः॥ ॥ ॐ ही श्री परम ॥ तिर्यगायुबंधस्थाननिवारणाय दीपं य० ॥ खा० ॥ इति तिर्यगायुबंधस्थाननिवारणार्थ पंचम दीपकपूजा समाप्ता ॥ ५ ॥ ३॥ ॥अथ षष्ठादतपूजा प्रारंनः॥ ॥ दोहा ॥ ॥ अदत पूजा पूजीए, अदय पद दातार ॥ पशु रूप निवारीने, निज रूपे करनार ॥१॥ ॥ ढाल नही ॥ मनमोहन मेरे ॥ ए देशी ॥ ॥तुम अम मेले एकग, मनमोहन मेरे ॥ मलीया वार अनंत ॥ म० ॥ शीघ्रपणे केम साहिबा ॥ म॥आप हया नगवंत ॥ म०॥१॥ बालसु मंद पराधीने॥म॥अंतर पमीयो जाय॥म०॥ एकलमा में आचस्यां ॥ म० ॥ तिरिय गतिनां श्राय ॥ मण ॥२॥ एकेजि मांदे रह्यो । म ॥ बावीश वरस हजार॥मा कुल्लक नव सत्तर कस्या ॥म॥श्वासोश्वास मोकार ॥ म॥३॥ बेइंजिय गुरु आयुथी ॥म॥जीवे वरस ते बार॥म०॥ गणपंचास वासरा ॥ म ॥ तेइंघिय अवतार ॥ म ॥ ४ ॥ उमासी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003855
Book TitleVividh Puja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages512
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy