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________________ ए६ विविध पूजासंग्रह नाग प्रथम. जावे ॥ प्रिया पुत्रने वात जणावे, पटकूल जरी पथरावे रे॥महावीर प्रज्जु घर आवे॥जीरण शेठजी जावना नावे रे ॥ महा॥१॥ उनी शेरीए जल बंटकावे, जाय केतकी फूल बिगवे ॥ निज घर तोरण बंधावे, मेवा मीगर थाल जरावे रे ॥ महा ॥२॥ अरिहाने दानज दीजे, देतां देखी जे रीजे ॥ षट्मासी रोग हरीजे, सीके दायक नव त्रीजे रे ॥ महा॥३॥ते जिनवर सनमुख जावू, मुज मंदिरीए पधरावें ॥ पारणुं जली नक्ते करावं, युगते जिनपूजा रचावु रे ॥ महा ॥४॥पनी प्रजुने वोलावा जश्शु, कर जोमी सामा रही\ ॥ नमी वंदी पावन थश्शु, विरति अतिरंगे वहीशुंरे ॥ महा ॥ ५॥ दया दान क्षमा शील धरशु, उपदेश सजानने करशं॥ सत्य ज्ञानदशा अनुसरशु, अनुकंपा लक्षण वरशुं रे ॥ महा ॥६॥ एम जीरण शेठ वदंता, परिणामनी धारे चढंता॥श्रावकनी सीमे ठरंता, देवउंऽनिनाद सुणंतारे॥महा ॥७॥ करी आयु पूरण शुज नावे, सुरलोक अच्युते जावे ॥ शातावेदनी सुख पावे, शुजवीर वचनरस गावे रै ॥ महा ॥ ७ ॥ काव्यं ॥ अगरमुख्य॥१॥ निजगुणादयः ॥२॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003855
Book TitleVividh Puja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages512
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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