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________________ (६१) नरिंदस्स ॥ ए६ ॥ श्रब्बुध गिरिवर मूले, मुंगथ से नंदिरुक अह जागे ॥ उमन कालि वीरो,श्र चल सरीरो चिउँ पडिमं ॥ ए७ ॥ तो पुन्नरायना मा, को महप्पा जिणस्स जत्तीए ॥ कार पडि मं वरिसे, सगतीसे वीरजम्मा ए॥ किंचूणा श्र हारस, वाससयाएय पवर तिस्स ॥ तो मिठ घ ण समीरं, थुणेमि मुंबले वीरं ॥ एए ॥ मय महालय अश्सय, निम्मल अछेरनूय वर मुत्ती॥ अजिय जिणो तारण गिरि, कुमार निव गवि जय उ ॥१०॥ वायड नयरे मुणिसु, वयस्स जीवंत सामि पडिममहं ॥ वंदे तह वीरजिणं, सत्तर संवबर स या जस्स ॥ १०१॥ तह सिरिमाला रासण, बंना पाणंद सिद्धिपुर पमुहे ॥ कासदह अजाहर, पुरे सु चिर चेश्ए श्रुणिमो ॥ १२ ॥ गुजर मालव कुंकण, मरठ सोरठ कल पंचाले ॥ मरुसंनरि महुरारि, हबिण पुर सोरिय पुराई ॥ १३ ॥ तिहुअणगिरि गोव गिरी, कासि अवंती मेवाड माईसु ॥ देसेसु जिणे थुणिमो, दिठ अदिठेसुए असुए ॥ १०४ ॥ तह जंबूदीव धायर, पुरकर दी वकृविजय सतरिसए ॥ जे केई गामागर नग, नग Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003854
Book TitleVidhipaksh Gacchiya Shravakna Daivasikadik Panch Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1895
Total Pages220
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size13 MB
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