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________________ (UV) सा सुदंसणा देवी ॥ निय निय मुत्तिहि श्रह्णवि, सेवंते सुवयं तहियं ॥ ७ ॥ इक्कारलक चुलसी, सदस्स किंचू वरिस जस्स तहिं ॥ जीवंत सामि तिछे, जरुठे सुवयं नमिमो ॥ ८० ॥ सन्निहिय पाडिहेरं, पासं वंदामि थंजणपुरं मि ॥ पावय गि रिवर सिहरे, डुह दवनीरं थुणे वीरं ॥ ८१ ॥ क नद्य निव निवेसिय, वरजिण जवणंमि पारुला गामे ॥ चिरमुत्तिं ने मिं, थुपि तद् संखेसरे पासं ॥ ८२ ॥ पारकर देस मंगण, जुए गुरुरगि रिम्मि उसन जिणो ॥ नंदज तिलोय तिल, अ वलोयण मित्त दत्त फलो ॥ ८३ ॥ सूरा चंदे 5 न्निय, पुन्निय बेवहणंमि जिए जुवणे || चउरो बा इडमेरे, पासं च थुणामि राडददे || ४ || सिरि कन्न नरवइ, कारिय नवणंमि कीर दारुमए ॥ तेरस वर सइए, वीर जिणो जय सच्चउरे ॥ ८५ ॥ बहुविद छरिय निही, रहोय पडहोय पयडसादिवो ॥ बल निच्चगाय पुन्निवि, जालउरे वीर जिए जव ॥ ८६ ॥ नव नवइ लरक धणवश, अलवासे सुवन्नगिरि सिहरे || नाइड निव का लीणं, थुणि वीरं जरकवसहीए ॥ ८७ ॥ तद चिर For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org Jain Educationa International
SR No.003854
Book TitleVidhipaksh Gacchiya Shravakna Daivasikadik Panch Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1895
Total Pages220
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size13 MB
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