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________________ (१४७) पुर हलिणाजरे ॥ सा ॥ अवल ईरावण पास ॥ पीरोज पुरें नूअड नलो ॥ सा ॥ फल विधि पूरे श्राश ॥ ३ ॥ विकानेर ने मेडते ॥ सा ॥ सीरोही आबू शृंग ॥राणाग पुरने सादडी ॥ सा ॥ वर काणे मनरंग ॥४॥ निन्नमाल ने कोटडे ॥ सा बाहडमेर मकार ॥ रायधणपुर रलियामणुं ॥सा॥ शांतिनाथ दयोज जूदार ॥५॥सा॥ साचोरजालो रराडबेंगोडी पुरवर पास॥पाटण अमदावाद वली॥ सा॥सं खेश्वर दीजें नास ॥६॥अमीफरे नव पद्धवे ॥सा॥ नवखम थला गम ॥ तारंगे बुरहानपुरें सा० ॥ वंदूं माणक शाम ॥ ७॥ खंजायत ने तारा पुरें ॥सा॥ मातर ने गंधार ॥ लोमण चिंतामणि वरं ॥ सा ॥ सूरत मनोश् जूहार ॥ ७॥ देवक पा टण देवगिरि ॥सा ॥ नवेनगर वंदी जोय ॥ दी वादिक सवि बंदरे ॥ सा ॥ अंतरिक सिरिपुर होय ॥ ए ॥ वडनगर ने कुंगरपुरें ॥ सा० ॥ श्मर मालव देश ॥ कल्याणक जिहां जिन तणुं ॥ साल ॥ मन सूधे प्रणमेश ॥ १० ॥ गाम नगर पुर पाट णे ॥ सा ॥ जिनमूरति जिहां होय ॥ वाचकमूला कहे मुळ ॥ सा ॥ वंदतां शिवसुख होय ॥११॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003854
Book TitleVidhipaksh Gacchiya Shravakna Daivasikadik Panch Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1895
Total Pages220
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size13 MB
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