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(१३ए) प्रणाम ॥ अनूति पहेलो ते जाण, अग्निनूति बी जो गुणखाण ॥१॥ वायुनूति त्रीजो जग सार, ग णधर चोथो व्यक्त उदार ॥ शासनपति सुधर्मा सा र, मंमितनामें बहो धार ॥२॥ मौर्यपुत्र ते सात मो जेह ॥ अकंपित अष्टम गुणगेह ॥ मुनिवरमांहे जे परधान, अचलत्रात नवमो ए नाम ॥३॥ ना मथकी होय कोडि कल्याण, दशमो मेतारज अवि रलवाण ॥ एकादशमो प्रनास कहेवाय, सुखसंपत्ति जस नामें थाय ॥४॥ गाया वीर तणा गणधार, गुणमणिरयण तणा नंमार ॥ उत्तम विजय गुरुनो शिष्य, रत्न विजय वंदे निशदिस ॥ ५॥ इति ॥
॥अथ गौतमाष्टक प्रारंजः ॥ ॥ राग प्रजाती ॥ मात पृथ्वीसुत, प्रात ऊठी नमो, गणधर गौतम, नाम गेलें ॥ प्रह समय प्रेमद्रु, जेह ध्यातां सदा, चढती कला होय, वंशवेले ॥ मा ॥ १॥ वसुजूतिनंदन, विश्वजनवंदन, उरितनिकं दन, नाम जेनुं ॥ अन्नेदबुझें करी, नविजन जे जजे, पूर्ण पोतें सही, जाग्य तेहy ॥ मा ॥ ॥ सुरम णि जेह, चिंतामणि सुरतरु, कामित पूरण, काम धेनु ॥ तेह गौतमनु, ध्यान हृदयें धरो, जेहथकी
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