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________________ ( १३७) गौतमस्वामिने नमः ॥५॥दोहा॥ पुंमरिक गोयम प मुह, गणहर गुणसंपन्न ॥प्रह ऊठी नित्य प्रण मियें, चउदहसें बावन्न ॥६॥ बोरस किमरस किन्नरस, चो था जसोनप्रसूरि ॥त्रणे कालें समरतां,उरिय पणा से दूर ॥॥ जे चारित्रे निर्मला, ते पंचायण सिंह ॥ विषयकषायने गंजिया, ते समरो निशि दीह॥॥ गाम तणे पेसारणे, नगर तणे सुविशेष ॥ अव सर पहेलो संनारियें, गौतम नाम गणेश ॥ ए॥ शार्दूलविक्रीडितं वृत्तं ॥ ब्राह्मी चंदनबालिका नग वती राजीमती जौपदी, कौशल्या च मृगावती च सुलसा सीता सुनना शिवा ॥ कुंती शीलवती न लस्य दयिता चूला प्रजावत्यपि, पद्मावत्यपि सुंदरी दिनमुखे कुर्वतु वोमंगलम् ॥ १० ॥ सर्वमंगलमां गल्यं, सर्वकल्याणकारणम् ॥ प्रधानं सर्वधर्माणां, जैनं जयति शासनम् ॥ ११॥ ॥ अथश्री गौतमाष्टकछंद प्रारंजः ॥ ॥ चोपाई ॥ वीर जिणेश्वर केरो शिष्य, गौतम नाम जपो निश दीस ॥ जो कीजें गौतमनुं ध्यान, तो घर विलसे नवे निधान ॥ १॥ गौतम नामें गिरिवर चढे, मनवांडित हेला संपजे ॥ गौतम Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003854
Book TitleVidhipaksh Gacchiya Shravakna Daivasikadik Panch Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1895
Total Pages220
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size13 MB
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