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( १०४ ) पालवानी पण सर्व गाथा कहीयें. पण एटलुं विशे ष जे सामायिक व्रत विधिं विधुं इत्यादिकने ठेकार्णे पोसह व्रत विधिं लिधुं इत्यादिक सर्वपाठ कहेवो.
पोसहमांहे सचित्तनो संघट्टो तथा उजेइ सं घट्टो थाय तो इरियावहियं तस्सुत्तरी कही एक लोगस्सनो काउस्सग्ग करी पछी लोगस्स प्रगट कही गमणागमण श्रालोव ने संघट्ट न थाय तो न कहेवो ॥ इति श्री पोसह विधिः संपूर्णः ॥ इतिश्री अचलगना श्रवकनो सामा यिकादिक समाचारीनो विधि संपूर्ण ॥
॥ अथ परकीखामणां प्रारंजः ॥
॥ श्ररिहंतजीने खमावीयें रे, जेहना गुण बे बार ॥ खमो जवि खामणां रे ॥ सिद्ध जीवने ख मावियें रे, गुण आठोयें मनोहार ॥ खमो जवि० ॥ १ ॥ श्राचारजने खमावीयें रे, जेहना गुण बत्री श ॥ खमो जवि० ॥ उपाध्यायने खमावीयें रे, जे दना गुण पच्चीश ॥ खमो जवि० ॥ २ ॥ साधु स वेंने खमावियेंरे, शोने गुण सत्तावीश ॥ खमो न वि० ॥ श्रावक श्राविकाने खमावीयें रे, जेहना गु
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