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________________ ( ३२ ) प्रसवे दिन एक सूतक जोय ॥ गाय श्रादिनुं मरण जव थाय, कलेवर घरथी बाहिर जाय ॥ २३ ॥ एटली वेला सूतक होय, दास दासी कन्या घर सोय ॥ जन्म होय के मृत्यु जाण, त्रण रातनुं होय प्रमाण ॥ २४ ॥ जेटला मासनो गर्जज पडे, तेटला दिवसनुं सूतक नडे ॥ जेंस विद्यायां दिन पंदर दुध, ते मांहे तो कहीए अशुद्ध ॥ २५ ॥ गौडुधनुं कथं प्रमाण दिवस दश जाणो गुणजाण ॥ बाली दिन था पढी ते दुध, ते पहेलां तो कहीए अशुद्ध ॥ २६ ॥ गौमूत्र मांदे चोवीश व्होर, संमूर्छिम जीव उपजे ते जोर ॥ सोल व्होर सनी नीत मांदे, संमूर्छिम जीव उपजे ते मांदे ॥ २७ ॥ द्वादश व्होर बकरीनी नीत मांहे, आठ व्होर गामर नीत ज्यांय ॥ एहमां संमूमि उपजे सही, एह वात गुरुमुखश्री लदी ॥ २८ ॥ ए सूतकनो कह्यो विचार, थोमा मांहे जाख्यो सार ॥ सूतक विचार श्रागममां कह्यो, जिनेश्वर मुखश्री सूधो लह्यो ॥ २ ॥ सोहम शुद्ध परंपरा जाए, तेजे करी दी पे जेम जाण ॥ अचलगने बंडु अणगार, श्री पुण्यसिंधु Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003853
Book TitlePushpvati Vichar tatha Sutak Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1918
Total Pages38
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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