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( ३१ ) सूतक सोय ॥ याठ वर्षथी न्हानो मरे शिशु, तो दिन यवनुं सूतक इस्युं ॥ १५ ॥ ए जन्म मरणनुं सूतक कयुं, अन्य ग्रंथमां एमज लधुं ॥ वली विचारसार मांदे सार, एम जाखे बे श्री अणगार ॥ १६ ॥ तुवंती नारी तणो विचार, त्रण दिन लगे जंमादिक सार ॥ नव बूवे कुलवंती नार, पक्किमणां दिन चार निवार ॥ १७ ॥ तपस्या करतां लेखे सही, दिन पांच पी जिनपूजा कही ॥ वली स्त्रीने रोगादिक होय, दिवस त्रण उलंघ्या सोय ॥ १८ ॥ रुधिर दीगमां श्रावे सही, तेनो दोष नव जाणे कहीं ॥ विवेके करी पवित्र याय नार, पबी जिनदर्शनथी लहे जवपार ॥ १५ ॥ एम जिनप्रतिमा पूजा करो, जवसायर लीलाए तरो ॥ वली साधु सुपात्रे दीजे दान, जेम पामो तमे स्वर्ग विमान ॥ २० ॥ जिनपडिमा अंगपूजा सार, न करे ऋतुवंती जे नार ॥ एम चर्चरी ग्रंथ मांदे विचार, ए परमारथ जाणो सार ॥ २१ ॥ वली जाख्यो सूतक विचार, जाखुं सद्गुरु तणे आधार ॥ तिर्यंच तणो लवलेशज कहुं, ते यागमयी जागो सहु ॥ २२ ॥ घोमा जेंस उंट घरमां होय,
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