________________
ܗܘܘܘܘܘܘܘ ܘܘܘܘܘܘܘܘܘܐܗܘ ܘ ܘ ܘ ܘ ܘ ܘ ܘ
ooooox
श्रावक श्री लालाजी रणजीत सिंघजी कृत
बृहदालोयणा.
ए पुस्तक
श्रावक भाइओने अवश्यवांचवा
भणवा योग्य जाणीने
श्रावक भीमसिंह मामकें
श्रीमोहमयी मध्यें
निर्णयसागर प्रेसमां छपाव्यं.
संवत् १९४७ सने १८९१.
२०७०७९७७०७७ ९७ ९७७ ९७ ९७ ९७ ९७७ ९७७
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org