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________________ प्रतिक्रमण सूत्र. महाराजे दीg. एमनुं क्षत्रियकुंम नगर, सिद्धार्थ राजा पिता, त्रिशला राणी माता, सात हाथ- शरीर, बहोंतेर वर्षायु, सुवर्णवर्ण देह, सिंह लांबन. ए रीतें कीर्तन करीने चित्तनी शुद्धिने मात्रै प्रणिधान कहे . एवं मए अनिथुआ, विद्वयरयमला पहीण जरमर .. णा॥ चनवीसंपि जिणवरा, तियरा मे पसीयंतु ॥५॥ अर्थः-( एवं के० ) ए प्रकारे ( मए के० ) महारे जीवें जे ( अनिथु श्रा के०) अनिस्तुता एटले नामपूर्वक स्तव्या ते चोवीशे परमेश्वर कहेवा जे ? तो के विहुय के) विधुत एटले टाल्या (रयमला के०) कर्म रूप रज अने कर्मरूप मल जेणें एटले जे कर्म इरियावहि क्रियायें करी बंधाय अथवा नवां बंधातां जे ढीलां कर्म, तेने रज कहियें अने जे पूर्व बंध चीरकालतुं संचित निकाचित गाढ कर्म अथवा सांपरायिक क्रियायें करी बंधाय, तेने मल कहियें, ए बेहु प्रकारना कर्मने जेणे टाटयां बे. वली केहेवा जे ? तो के (पहीण के०) प्रदीण एटले अतिशयें करीने दय कस्या छे (जरमरणा के0 ) जरा अने मरण जेणे एटले जे समय समय आयुष्य घटे, तेने जरा कहियें अने सर्वथा आयु घटीने प्राणनो वियोग थाय, तेने मरण कहियें. एवा जरा अने मरण, ए बेहु जेणें दय कस्यां ने एवा जे (चवीसंपि के०) चतुर्विंशतिरपि एटले पूर्वोक्त ए चो वीशे जिनवर सांप्रत कालें थया अने अपि शब्दथकी बीजा पण तीर्थकर पूर्ववत् लेवा. ( जिणवरा के०) श्रुतधरा दिक जिनोथकी प्रधान श्रेष्ठ एवा जिनवर (तियरा के0) तीर्थंकरा एटले तीर्थंकरो ते (मे के०) म हारा उपर (पसीयंतु के०) प्रसीदंतु एटले प्रसन्न था, अर्थात् प्रसाद (कृपा) करवाने तत्पर था. यद्यपि श्रीवीतराग डे, तेथी स्तुति करनार उपर प्रसन्न थता नथी, तेमज निंदा करनार उपर अप्रसन्न पण थता नथी तथापि स्तुति करनारने स्तुतिनुं फल मले बे, अने निंदा करनारने निंदानुं फल मले बे. जेम चिंतामणि, मंत्रादिकोयें करी शुजनी वांडा करनारने शुन्न फल मले ने अने अशुजनी वांडा करनारने अशुल्न फल मले बे, यद्यपि जे नयीज प्रसन्न थता ते शी रीतें प्रसन्न थशे? माटे वृथा प्रला करी नक्तिनो अतिशय थतो नथी; तथापि एम कहे ते पण दोष नथी, कारण के क्षीण Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003850
Book TitlePratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1906
Total Pages620
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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