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________________ ५० प्रतिक्रमण सूत्र. १७ अढारमा श्रीअरनाथने ढुं वाड्. अरिहंत जेवा सर्वोत्तम पुरुष जे कुलने विषे उपजे, अने जेनाथी कुलनी वृद्धिथाय, ते पुरुषने वृक्ष पुरुषो अर एवं नाम कहे जे. तथा जगवान् गर्नमांश्रावे थके तेमनी मातायें स्वप्नामां सर्व रत्नमय अर एटले थारो तथा थुन दीगे माटें अरनाथ नामदीधुं, एमगज पुर नगर, सुदर्शनराजा पिता, देवी राणी माता, त्रीश धनुष्य प्रमाण शरीर, चोराशी हजार वर्षायु, सुवर्णवर्ण देह, नंदावर्त्त लांबन. १ए उंगणीशमा श्रीमद्विनाथने हुँ वांछ . परिसहरूप मन तेनो जय करवाथकी मति कहियें तथा नगवान् गर्ने आव्या पली माताने एक शतुमां सर्व ऋतुनां सुरजि फूलनी शय्यायें सुवानो दोहलो उपन्यो, ते देवातायें पूर्ण कस्यो, माटें महिनाथ नाम दीई. एमनी मिथिला नगरी . कुंजराजा पिता, प्रनावती राणी माता, पञ्चीश धनुष्य प्रमाण शरीर, पञ्चावन्न हजार वर्षायु, नीलवर्ण देह, कुंन लांबन. २० वीशमा श्रीमुनिसुव्रत स्वामीने हुँ वांडे . जे जगतनी त्रिकाला वस्थाने जाणे ते मुनि कहिये. वली जेने शोजन व्रत ने तेने सुव्रत कहियें. तथा जगवान् गर्ने आव्या पठी एमनी जननीय मुनि सरखा शोजन श्रावकनां व्रत पाल्यां, एवो महिमा जाणी मुनिसुव्रत नाम दीधुं, एमर्नु राजगृह नगर, सुमित्र राजा पिता, पद्मराणी माता, वीश धनुष्य प्रमाण शरीर, त्रीश हजार वर्षायु, कृष्णवर्ण देह, काचबानुं लांबन. १ एकवीशमा श्रीनमिजिनेश्वरने हुँ वांढुं. परिसह उपसर्गादिकने जे णे नमाव्या ले मात्रै नमि कहिये,तथा प्रजु गर्ने आव्या पली सीमाभिया रा जा नगवंतना पिताना शत्रु हता, तेचढी आव्या, गामने विंटी लीधुं, राजा आकुल व्याकुल थयो, निमित्तियाने पूज्युं, तेवारें निमित्तियायें कडं के राणी सगा बे, तेने गढने कोशीशें चढावी वैरीयोने दर्शन करावो, राजायें तेमज राणीने किसा उपर चढावीने शत्रु ने वांकी नजरें जोवराव्या, तेवारें वैरीयोथी राणीनुं तेज खमायुं नही, तेथी सर्व वैरी मान मूकी नगवंतनी माताने नमस्कार करीने कहेवा लाग्या जे अमोने सौम्यदृष्टियें करी जून, राणीयें सौम्यदृष्टियें जोइ माथे हाथ राख्यो. पठी सर्व राजा राणीने पगे लागी आज्ञा मागी पोत पोताने नगरें गया, ए रीतें सर्वराजा नम्या, एवो गर्जनो प्रनाव जाणी नमिनाथ नाम दीg. एमनी मिथिला नगरी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003850
Book TitlePratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1906
Total Pages620
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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