________________
सहपारवानो विधि. चाय करु? कह श्रने सद्याय करे, खाधेद्यं होय तो, वांदणां वे देश पञ्च काण करे, खाधेनुं न होय तो खमासण देश पञ्चरकाण पारे. पड़ी श्वामिण श्वाका उपधि संदिसाडं. श्वामि श्खाका उपधि पडिलेहुँ ? कही पड़ी देववंदना करी मांडलां करे प्रतिक्रमण करे. पठी एक पहोर रात्रि श्राशरे जाय, त्यां सुधी निमा लीये नहीं पड़ी खमासमण देश् श्बाका बहुपडि पुन्ना पोरिसी कही खमासमण देई शरियाव हिया पडिकमी यावत् लोग स्स कही श्लामि० श्लाका बहुपडिपुन्ना पोरिसी राश्य संथारए गचं ? कही पड़ी श्वामिण्श्छाका० चैत्यवंदन करूं ? एम कही चउकसायर्नु चैत्यवं दन यावत् जयवीयराय सुधी करे. पडी श्वामिण श्वाका संथारा विधि जणवा मुहपत्ति पमिले हुँ ? एम कही मुहपत्ति पमिलेहवी. संथारा पोरिसी जणाववी. जागे त्यां सुधी सद्याय ध्यान करे. पोसहमा एकासणादिक कलुं होय तो अवसरें पञ्चरकाण पारी पोसहशालाथी श्रावस्सर कही ने निजगृहें O शोधतो खमासमण दर, इरियावहि पडिकमी खमा गमणागमणं आलोश, काजो पूंजी यथासंचवें अतिथिसंविनाग व्रत फरसीने निश्चल आसने बेसी हाथ,मुख, पग वगेरे पमिलेही नवकार सं नाली प्राशुक आहार जमे. अथवा पोसहशालायें प्रथम प्रेरित नि जपुत्रादिकें आण्यो आहार करे, पण साधुनी पेरें गोचरी करे नही. त था कारण विना मोदक, स्वादिष्ट, लविंगादिक तांबुल न लीये. ते पछी निसिहि कही पोसहशालये श्रावी खमाण इरिया पमिकमी, चैत्यवंदन करे ॥ इति श्री पौषधपारवानोविधिःसंपूर्णः ॥१॥
अ आ इ ईनक ए ऐ उ औ अं अः क ख ग घ ङ च ज ज ञ ट ठ म ढ ण त थ द ध न प फ ब न म य र ल व श
.. ष स ह द ज्ञः १२३४५६७ ए ०
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org