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प्रतिक्रमण सूत्र. र आपण सारिखा ॥ महा ॥ जोतां नहिं मले जोम ॥ जय० ॥ बोल्या अण बोल्या करो ॥ महा॥ ए वातें तमने खोम ॥ ज०॥३॥ हुं रागी तुं वैरागीयो ॥ महा॥जगमां जाणे सहु कोय ॥ जय० ॥रागी तो लागी रहे ॥ महा ॥ वैरागी रागी न होय ॥ जश् ॥ ४॥ वर बीजो हुँ नवि वरं ॥ महा ॥ सघला मेली सवाद ॥ जय० ॥ मोहनीयाने जर मली॥ महा ॥ महोटा साथें श्यो वाद ॥ ज० ॥५॥ गढ तो एक गिरनार ॥ महा॥ निरतो वे एक श्रीनेम ॥ ज० ॥ रमणी एक राजीमती॥ महा ॥ पूरो पाड्यो जेणें प्रेम ॥ जश् ॥ ६॥ वाचक उदयनी वंदना ॥ महा ॥ मानी लेजो महाराज॥ज ॥ नेम राजुल मुक्तं मयां ॥ महा॥ सास्यां आतमकाज ॥ ज० ॥ ७॥ इति ॥
॥अथ सूरशशि कृत जिन प्रजुनी अांगीतुं स्तवन ॥ ॥धन धन रे दीवाली मारे आजुनी रे, मेंतो बबी नीरखी जिनराजनी रे॥ ध ॥ ए आंकणी ॥ पहेरी अांगी थालौकिक जातिनी रे, मांही बुट्टी दी धी जात नातनी रे ॥धण॥१॥ मणि हिरला मुकुटमा जड्या बहु रे, का ने कुंडलनी शोजा हुं शी कहुं रे ॥ ध० ॥२॥ मुने कृपा करी ते ढुं कडं कशी रे, महारे वहाले मुज सामुं जोयुं हसी रे ॥ ध० ॥३॥ प्रजु शांति जिणंद हृदयें वस्या रे, थई सूरशशीनी चढती दशा रे ॥ ध० ॥४॥
॥ अथ बीजनुं स्तवन ॥ फतमल पाणीमाने जाय ॥ ए देशी ॥ ॥प्रणमी शारद माय, शासन वीर सुहंकर जी॥ बीज तिथि गुणगेह, आदरो नवियण सुंदरु जी ॥१॥ एह दिन पंच कल्याण, विवरीने क ढं ते सुणो जी ॥ महाशुदि बीजे जाण, जन्म अभिनंदन तणो जी ॥२॥ श्रावण शुदिनी हो बीज, सुमति चव्या सुरलोकथी जी ॥ तारण नवो दधि तेह, तस पद सेवे सुर थोकथी जी ॥३॥ समेतशिखर शुज गण, दशमा शीतल जिन गणुं जी ॥ चैत्रवदिनी हो बीज, वस्या मुक्ति तस सुख घणुं जी ॥४॥ फाल्गुन मासनी बीज, उत्तम उज्ज्वल मासनी जी॥ अरनाथ तस च्यवन, कर्मदयें तव पासनी जी ॥५॥ उत्तम माघज मा स, शुदि बीजें वासुप्रज्यनो जी॥ एहिज दिन केवल नाण, शरण करो जिनराजनो जी ॥६॥ करणीरूप करो खेत, समकित रूप रोपो तिहां जी॥ खातर किरिया हो जाण, खेड समता करी जिहां जी ॥ ७॥ उपशम
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