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चैत्यवंदनानि बाग्में, संनव चवि आयो ॥१॥ चैत्र वदनी आग्में, जनम्या झपन जिणंद ॥ दीदा पण ए दिन लही, हुआ प्रथम मुनिचंद ॥२॥ माधव शु दि आपम दिने, आठ कर्म कस्यां दूर ॥ अनिनंदन चोथा प्रनु, पाम्या सु ख जरपूर ॥३॥ एहीज आठम ऊजली, जन्म्या सुमति जिणंद ॥आठ जाति कलशें करी, नवरावे सुरविंद ॥४॥ जन्म्या जेठ वदि आपमें मु नि सुव्रतस्वामी ॥ नेम आषाढ शुदि आपमें, अष्टमी गति पामी ॥ ५ ॥ श्रावण वदनी आपमें, नमि जन्म्या जगजाण ॥ तिम श्रावणशुदि आ में, पासजीनुं निर्वाण ॥६॥ जावा वदि आठमदिने, चविया खामी सुपास ॥ जिन उत्तमपद पद्मने, सेव्याथी शिववास ॥ ॥ इति ॥ १७ ॥
॥ अथ एकादशीनु चैत्यवंदन ॥ ॥ शासन नायक वीरजी, प्रनु केवल पायो ॥ संघ चतुर्विध स्थापवा, महसेन वन आयो ॥ १॥ माधव सीत एकादशी सोमल हिज यज्ञ ॥ इंजनूति आदें मल्या, एकादश विज्ञ॥२॥ एकादशसें चल गुणा, तेहनो परिवार ॥ वेद अर्थ अवलो करे, मन अनिमान अपार ॥ ३ ॥ जीवा दिक संशय हरी ए,एकादश गणधार ॥ वीरें स्थाप्या वंदीयें, जिन शासन जयकार ॥४॥ मन्त्री जन्म अर मसी पास, वर चरण विलासी॥षन अजित सुमति नमी, मसी घनघाति विनाशी ॥५॥ पद्मप्रन शिववास पास, जवनावना तोडी ॥ एकादशी दिन आपणी,ज्ञछि सघली जोमी॥६॥ दश देत्र त्रिहुं कालनां, त्रणशें कल्याण ॥ वरस अग्यार एकादशी,आराधो वर नाण ॥ ७॥ अगीयार अंग लखावीयें, एकादश पागं पंजणी ठवणी विंटणी, मषी कागल कागं ॥॥ अगीयार अव्रत गंगवां ए, वहो पमिमा अगीयार ॥ खिमा विजय जिनशासनें, सफल करो अवतार ॥ ए ॥१७॥
॥अथ चोवीश तीर्थकरनी राशियोनुं चैत्यवंदन ॥ ॥ शांति नमी मसी मेष ने, कुंथु अजित वृष नाति ॥ संनव अभिनंदन मिथुन, धर्म करक सिंह सुमति ॥ १॥ कन्या पद्मप्रन नेम वीर, पास सुपास तुला ए ॥ शशी वृश्चिक धन झपनदेव, सुविधि शीतल जिनराय॥२॥ मकर सुव्रत श्रेयांसने ए, बारमा घट मीन लील ॥ विमल अनंत अर नामथी, सुखीया श्री शुजवीर ॥३॥ इति ॥ १७ ॥
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