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________________ प्रतिक्रमण सूत्र. गारेणं, आग्मो, (सव के०) सब समाहिवत्तियागारेणं, ए (अहन के०) आग्यागारते(एग बियासणि के०) एकासण अने बियासणना पञ्चरकाणने विषे जाणवा. तथा एज आठमांथी एक (अउटविणा के०) बाउंट्टणपसा रेणं ए श्रागार विना शेष एकासणाने विषे जे कह्याचे तेज (सग के०) सात श्रागार ते(गगणे के०) एकलगणाना पच्चरकाणने विषे होय॥१॥ जिहां जमणा हाथें जमे, मात्र कोलीया लेवानेज हाथ फेरवे, परंतु अंगोपांगने तो खरज खणवादिकने कामे पण हलावे नही ते एटलगणुं जाणवू ॥१५॥ हवे विग, नीवि तथा आयंबिलना आगार कहे . अन्न सह लेवा गिद, कित्त पडुच्च पारि मद सवे॥ विग निविगए नव, पडुच्च विणु अंबिले अहार॥ अर्थः-एक (अन्न के० ) अन्नबणानोगेणं, बीजो ( सह के ) सह स्सागारेणं, त्रीजो (लेवा के०) लेवालेवेणं, चोथो ( गिह के ) गिहन संसहेणं, पांचमो ( जस्कित्त के०) उरिकतविवेगेणं, बहो ( पमुच्च के०) पमुच्चमकिएणं, सातमो (पारि के) पारिहावणियागारेणं, आग्मो (मह के० ) महत्तरागारेणं नवमो ( सवे के ) सवसमाहिवत्तियागारेणं, ए (नव के०) नव आगार ते (विग के०) विग तथा ( निविगए के) निविग मली बे पञ्चकाणने विषे जाणवा, तथा ए नवमांथी एक (पमुच्चविणु के०) पमुच्चमरिकएणं ए आगार विना शेष (अठ के०) आठ आगार जे विग अने नीविना कह्या तेज (अंबिले के०) आयंबिलना पञ्च काणने विषे जाणवा. जिहां आम्ल एटले खाटो चोथो रस तेहथी निव तवं ते आयंबिल कहीयें, तेना त्रण प्रकार के, एक उदन, बीजो कुस्माष, त्रीजो साथुआदिक ए त्रण नेदें . अथवा (आचाम्ल के०) उसामणनी पेरें जिहां अन्नादिक नीरस थ निकले तेने आयंबिल कहीयें ॥२०॥ हवे उपवासना आगार कहे जे. अन्न सह पारि मद सत्व, पंच खवण ब पाणि लेवाई॥ चन चरिमंगुहार, निग्गदि अन्न सद मद सवे ॥२॥ अर्थः-एक (अन्न के०) अन्नबणानोगेणं, बीजो (सह के०) सहस्सागा रेणं, त्रीजो (पारि के०) पारिछावणियागारेणं, चोथो (मह के०) महत्तरा For Personal and Private Use Only Jain Educationa International www.jainelibrary.org
SR No.003850
Book TitlePratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1906
Total Pages620
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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