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प्रतिक्रमण सूत्र. ( अकरा के० ) अदर बे, (तहाय के० ) तथाच एटले तेमज वली (रियाए के०)रियावहिने विषे ( नवनग्अमरकरसयं के०) नवनव ति अक्षरशतं एटले नवाणुयें अधिक एकशो अदर जाणवा अर्थात् एक शो ने नवाणुं अदर जाणवा, तथा (उतीस के०) त्रीश (पय के०)पद जाणवां अने ( संपया के०) संपदा (अह के) आठ जाणवी ॥३१॥
ए आठ संपदाना पदनी संख्या तथा संपदाना आदि पद कहे जे. जुग जुग ग चन ग पण, गार बग इरिय संपया पया॥ श्वा हरि गम पाणा, जे मे एगिदि अनि तस्स ॥३२॥
अर्थः-पहेली संपदा ( उग के० ) बे पदनी, बीजी संपदा पण (उग के० ) बे पदनी, त्रीजी (ग के) एकपदनी, चोथी (चन के०) चार पदनी, पांचमी (ग के०) एकपदनी, बही(पण के०) पांच पदनी, सातमी (गार के ) अगीयारपदनी, बाग्मी (बग के०) पदनी जाणवी ॥
हवे ए (इरिय के०) शरियावहीनी सर्व (संपया केण) संपदाउँना (आ इपया के०) आदिपद एटले प्रथमना पद जे संपदाना धुरियां ते कडे बे. तिहां प्रथम (श्वा के० ) श्वामि ए पहेली संपदा, पहेलु पद, (इरि के०) शरियाव हियाए ए बीजी संपदा, पहेलु पद, (गम के०) गमणागमणे ए त्रीजी संपदानु पहेवू पद, (पाणा के० ) पाणकमणे ए चोथी संपदानुं प हेलु पद, (जेमे के) जेमेजीवा विराहिया ए पांचमी संपदानुं पहेढुं पद, (एगिदि के०) एगिदिया ए बही संपदानु पहेढुं पद, ( अनि के० ) अ निहया ए सातमी संपदा, पहेढुं पद, (तस के० ) तस्सउत्तरी करणेणं ए बाठमी संपदानुं पहेवू पद जाणवू ॥ ३ ॥
॥ हवे ए रियावहिनी पाठ संपदानां नाम कहे ॥ अनुवगमो निमित्तं, उदे अरदेन संगदे पंच ॥
जीवविरादण पडि, कमण नेयनतिन्नि चूलाए ॥ ३३ ॥ अर्थः-अच्युपगम एटले अंगीकार कर ते आहीं पापना दयनुं जे श्रालोचना लक्षण कार्य तेनो अंगीकार करवो ते स्वरूप एटला माटे श्वामि पमिकमिजं ए बे पदनी प्रथम(अनुवगमो के०) अन्युपगम संपदाजाणवी.
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