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________________ २० प्रतिक्रमणसूत्र. नही. गृहस्थने घेर तथा उपाशरे अणपमिलेह्यां वस्त्र राखे नहीं, ए प्रथम महाव्रत कडं. २ “सबा मुसावाया वेरमणं" क्रोध, लोन, लय तथा हास्यादिकथी प्रव्य, क्षेत्र, काल अने नाव संबंधे मन, वचन तथा कायायें करी पोतें जूतुं बोले नही, बीजाने जूतुं बोलावे नही तथा जूतुं बोलनारने अनुमोदे नहीं, एटले खनावें तथा कार्य उपने तथा पोतानो शिथिलाचार ढांकवाने अर्थे तथा आदेशादिकनी वात करतां तथा गृहस्थ- मन राखवाने अर्थे जूतुं कदापि बोले नहीं. ए बीजुं माहाव्रत कथु.. ____३ “सबा अदिन्नादाणा वेरमणं” पारकुं अदत्त, पोतें तृणमात्र पण लिये नही, परने लेवरावे नही, तथा लेताने अनुमोदे नहीं. एटले नीर्थकर अदत्त, गुरुदत्त, खामियदत्त तथा जीवअदत्त. ए चार प्रकारनां श्र दत्त , तिहां पोताने अर्थे रांधेलो आहार लीये तथा असुजतां वस्त्र, पात्र प्रमुख लीये, तेने तीर्थंकर अदत्त सहित गुरुदत्त ए बे अदत्त लागे, अने गृहस्थे अणाप्युं तथा मन पांखे श्राप्युं लीये, तेने स्वामिश्रदत्त सहित तीर्थंकर अदत्त लागे, अने फासुकरणमां पाणी प्रमुख सजीव वस्तु वहोरे, त्यां जीव अदत्तसहित तीर्थंकरअदत्त लागे. ते लिये नही, लेवरावे नही तथा लेताने अनुमोदे नही, ए त्रीजुं महाव्रत का. ४ "सबा मेहुणा वेरमणं” अढार नेदें ब्रह्मचर्य पाले. ते था प्रमाऐं:-औदारिक कामी ते मनुष्य तथा तिर्यंचनी स्त्री संबंधी तेने मन, वचन तथा कायायें करी सेवना करे नही, परने करावे नही तथा करताने अनुमोदन न दिये. एमज नव नेद वैक्रियना ते देवताउंनी. स्त्रीविषे जाणी लेवा. ए अढार नेदें ब्रह्मचर्य पाले एटले कोई प्रकारनी स्त्री जातिनी सोथें आलाप, संलाप तथा अतिपरिचय न करे. केम के एम कस्याथी व्रतनो नंग थाय जे.अने बीजो को देखे तो जिनशासननी हेलना करे अने घणो वेषी होय तो गाममां बकवाद करे, तेथी निंदा थाय. ए चोथु महाव्रत कवू. ___५ "सबार्ड परिग्गहार्ड वेरमणं.” नव विध परिग्रह तथा धातुमात्र मूळ रूपें राखे नहीं, धर्म सहायक उपकरणोथी अधिक उपकरणो राखे नही, बीजाने रखावे नही, अने राखताने अनुमोदन दिये नहीं जे साधु होय, ते औधिक चौद उपकरण तथा औपग्रहिक जे संथारो, उत्तरपट्ट, मांगो प्रमुख Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003850
Book TitlePratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1906
Total Pages620
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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