SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 319
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भक्तामरस्तोत्र अर्थसहित. शपए नुवनत्रयशंकरत्वात् ॥धातासि धीर ! शिवमार्गविधे विधानात्, व्यक्तं त्वमेव जगवन्! पुरुषोत्तमोऽसि ॥श्य॥ अर्थः-हे नाथ ! (विबुधार्चितबुद्धिबोधात् के०) देवतायें अर्चित एटले पूजित कस्यो ने केवलज्ञाननो बोध जेमनो माटें (त्वमेव के०) तमेंज (बुद्धः के०) बुद्ध देवता डो, एटले ज्ञानतत्त्वी बो तथा (जुवनत्रयशंकरत्वात् के) त्रण नुवनने सुखना करनार होवाथी ( त्वं के०) तमें (शंकरोसि के) शंकर देवता बो. अन्यपदमां जे शंकर देवता डे ते तो नग्न, कपाली, नैरव, संहारक, तेणें करीने ते यथार्थनामा शंकर नथी. तथा (धीर के) हे घीर ! तमेंज ( शिवमार्ग के० ) मोक्षमार्ग तेनो (विधेः के०) रत्नत्रय योगरूप क्रिया तेना (विधानात् के) निःपादन करवाथकी (धाताके) विधाता एटले संपन्न (असि के०) बो. अर्थात् तमेंज ब्रह्मदेव बो, अन्य पक्षमा जे ब्रह्मा बे. ते तो जम बे, अने तेणें तो वेदोपदेशथकी नरक पथ उघाड्यो बे, ते माटे यथार्थ ते ब्रह्मा नथी. वली (जगवन् के) हे नगवन् ! (त्वमेव के०) तमेंज (व्यक्तं के) प्रगटपणे (पुरुषोत्तम के) पुरुषो त्तम ते नारायण देव, (असि के) बो. अन्यपदमां जे पुरुषोत्तम कृष्ण बे, ते तो सर्वत्र कपटवशथकी यथार्थ पुरुषोत्तम नथी ॥ २५ ॥ हवे वली फरीने जिनने नमस्कार करतो बतो कहे जे. तुल्यं नमस्त्रिजुवनातिहराय नाथ, तुभ्यं नमः दि तितलामलनूषणाय ॥ तुभ्यं नमस्त्रिजगतः परमेश्व राय, तुभ्यं नमोजिन ! नवोदधिशोषणाय ॥२६॥ अर्थः-(नाथ के०) हे नाथ ! ( त्रिजुवनातिहराय के० ) त्रण जुवननी श्रार्ति जे पीमा तेने हरण करनारा एवा (तुन्यं के) तमोने (नमःके०) नमस्कार हो. तथा (दितितल के०) पृथिवीतल तेने विषे (अमल के०) निर्मल (जूषणाय के०) अलंकाररूप हो अथवा पृथिवीतल जे पाताल अने अमल जे स्वर्ग तेना नूषणरूप एवा ( तुन्यं के०) तमोने ( नमः के०) नमस्कार हो. तथा ( त्रिजगतः के०) त्रण जगतना (परमेश्वराय केण्) प्रकृष्ट प्रनु एवा ( तुज्यं के० ) तमोने ( नमः के०) नमस्कार हो. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003850
Book TitlePratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1906
Total Pages620
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy