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संतिकरस्तव अर्थसदित. २३१ उने विषे कालनी उपमा ने माटें काली देवी कहियें. तथा आग्मी (महाकाली के०) महाकाली देवी, आहिं महाशब्दें करीने विशेष जाणवु॥५॥ ___ गोरी तद गंधारी, मदजाला माणवी अ वश्रुट्टा ॥
अनुत्ता माणसिआ, महामाणसिआ देवी ॥६॥ अर्थः-नवमी (गोरी के०) गौरवर्णपणुं जे माटें गौरी देवी कहियें. (तह के०) तथा वली दशमी (गंधारी के०) गा एटले सुरनि तेना वाहनने धा रण करे ने माटे गांधारी कहियें तथा अगीयारमी ( महजाला के) सर्व अस्त्रोनी महोटी ने ज्वाला जेने तेने महाज्वाला कहियें तथा बारमी (माणवी के०) मनुष्यथी जननी तुल्य, तेने मानवी कहिये. ( अ के०) वली तेरमी ( वट्टा के० ) अन्योऽन्य वैरोपशांत्यर्थ अव्य एटले श्राव ने जेनुं ते वैरुट्या कहियें. तथा चौदमी (अछुत्ता के) पापने विषे जेने स्पर्श नथी तेने अबुत्ता कहियें. तथा पंदरमी (माण सिथा के०) ध्यान करनारना मनने सान्निध्य जेनाथकी थाय ले ते माटें मानसिका कहियें. तथा शोलमी ( महामाणसिया के०) ते पण पूर्वोक्त मानसि कानी जेम जाणवू. एक महा पद , ते महत्तावाचक , ए शोल (दे. वी के) देवियो जे , ते रक्षण करो. ए शोले देवीयोनुं विद्याप्रधानत्व बे ते माटें ए विद्यादेवीयो कहेवाय . ए शोल देवीयोयें करी मंत्रावर्णावति ससाधन थाय . ए देवीयोनुं श्रीमंत्रपट्टमां पोतपोताना स्थानकोने विषे स्थापन थाय बे, अने तेनुं ध्यान करनारने ए ध्यान,सुखावह होय ॥६॥ हवे चोवीश तीर्थंकरोना चोवीश यदोनां नाम अनुक्रमें कहे जे.
जरका गोमुद महज, क तिमुह जकेस तुंबुरू कुसुमो॥ मायंगो विजयाजिय, बंनो मणु सुरकुमारो॥७॥ अर्थः-प्रथम (गोमुह के ) गोमुखनामा (जरका के० ) यद, बी जो ( महजक के० ) महायद, बीजो (तिमुह के० ) त्रिमुख यद चो श्रो ( जकेस के ) ईश्वरनामा यद, पांचमो ( तुंबुरु के) तुंबुरुना मा यद, हो ( कुसुमो के ) कुसुम नामा यद, सातमो (मायंगो के०) मातंगनामा यदा, आठमो ( विजय के०) विजयनामा यद, नवमो (अजिय के०) अजितनामा यद, दशमो (बंजो के०) ब्रह्मनामा
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