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________________ २२२ प्रतिक्रमण सूत्र. पांच स्थूलपरिग्रहपरिमाणवतें पांच यतिचार ॥ धधन्न वित्तवन्नू० ॥ धन. धान्य, खेत्र, वास्तु, रुप्प, सुवर्ण, कुप्य, द्विपद, चतुःपद, नवविध परिग्रह तथा नियम उपरांत वृद्धि देखी, मूर्छा लगें संक्षेप न कीधो मा ता, पिता, पुत्र, स्त्रीत लेखे की धो. परिग्रह परिमाण लीधुं नहीं. लेइने पढिलं नहिं, पढनुं विसायुं, अलीधुं मेल्युं, नियम विसारया ॥ पांचमे परिप्र परिमाणत विष नेरो जे कोइ प्रतिचार प० ॥ ॥ दिपरिमाणतें पांच प्रतिचार ॥ गमणस्स य परिमाणे० ॥ ऊर्ध्व दिशि, अधोदिशि तिर्यग् दिशियें जावा, श्रववा तणा नियम लइ जांग्या. नाजोगें विस्मृत लगें अधिक भूमि गया. पाठवणी श्राघी, पाठी मोक ली, वाहाण व्यवसाय कीधो, वर्षाकाले गामतरुं की धुं. भूमीका एक गमां संक्षेप. बीजी गमां बधारी ॥ उठे दिक्परिमाणात विष अनेरोजे को प्रति० ॥ १० ॥ सातमे जोगोपनोग विरमणवतें जोजन श्राश्रयी पांच अतिचार अने कर्महूंती पंदर, एवं वीश प्रतिचर ॥ सच्चित्ते परिबद्धे ० ॥ सचित्त नियम लीधे अधिक सचित्त लीधुं अपकाहार, दुःपक्काहार, तुञ्चोषधि तणुं जक्षण कीधुं. जेला, उंबी, पोंक, पापमी, कीधां ॥ सच्चित्त दव विगई, वाणह तंबोल व कुसुमेसु || वाहण सयण विलेवण, बंज दिसी न्हाण जत्तेसु ॥ चौद नियम दिनगत रात्रिगत लीधा नहीं. लेइने जांग्यां. बावीश यजदय, बत्री अनंत कायमांहि आडु, मूला, गाजर पिंग, पिंकालु, कचूरो, सुरण, कुली बली, गलो तथा वाघरमा खाधां वाशी कठोल, पोली, रोटली, त्रण दिवसनुं चंदन लीधुं मधु, महमां, माखण, माटी, वेंगण, पीलु पीचु, पंपोटा, विष, हिम, करहा, घोलवमां, अजाण्यां फल, टिंबरु, गुंद, महोर, अथाएं, आमण बोर, काचुं मीतुं, तिल, खसखस तथा कोळिंबां खाधां रात्रि जोजन कीधा. लगबग वेलायें वालुं कीधुं. दिवस विए उगे शीराव्या, तथा कर्मतः पन्नर कम्र्मादान ॥ इंगालकम्मे, वणकम्मे, साडी कम्मे, जामीकम्मे, फोमीकम्मे, ए पांच कर्म दंतवाणिजेो, लरकवां णिडो, रसवाणिजे, केसवाणिजे, विसवाणिजे. ए पांच वाणिज ॥ जंत पिल्ल एकम्मे, निलंबणकम्मे, दवग्गिदावण्या, सरदहतलाय सोसण्या, सईपोसण्या, ए पांच सामान्य ॥ ए पांच कर्म, पांच I Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003850
Book TitlePratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1906
Total Pages620
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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