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सरदेसरनी सद्याय अर्थसहित. १७५ धारणी नामें जाणवी. पांत्रीशमी जंबुकुमारनी माता पण धारणी जाणवी. बत्रीशमी ( कलावई के० ) कलावती, शीलने प्रनावें जेना कापेला हाथ वली नवपसव थया, (च के०) वली सामंत्रीशमी ( पुप्फचूला के०) पुष्पचूलानामा साधवी, अनिकापुत्र आचार्यनी नक्तिना उदासथी जेणे केवल ज्ञान पाम्युं, जे वर्षाद वरसते आहार लावी ॥ १० ॥
पनमावई य गोरी, गंधारी लरकमणा सुसीमा य ॥
जंबुवइ सच्चन्नामा, रुप्पिणि कन्दछ महिसी ॥ ११ ॥ अर्थः-श्रामत्रीशमी (पउमावश् के.) पद्मावती, उंगणचालीशमी (गोरी के ) गौरी, चालीशमी ( गंधारी के०) गांधारी, एकतालीशमी ( लकमणा के ) लक्ष्मणा, बहेंतालीशमी (सुसीमा के०) सुसीमा, (च के०) वली तालीशमी (जंबुवर के०) जांबुवती, चुम्मालीशमी (सच्चनामा के ) सत्यनामा, पीस्तालीशमी (रुपिणि के) रुक्मिणी ए (कन्हत केण) श्रीकृष्णनी आउ, ( महिसी के०) अग्रमहिषीयो बे, एटले पटराणीयो बे, अहिंचकार पादपूर्णार्थ डे ॥ ११ ॥
जरका य जकदिन्ना,नूआ तद चेव नूदिन्ना य ॥
सेणा वेणा, रेणा, जयणी थूलिनदस्स ॥१२॥ अर्थःवेंतालीशमी (जका के०) यदा, (च के०) वली सुमताली शमी (जरकदिन्ना के०) यद दिन्ना, अमतालीशमी (नूया के) नूता (तह के ) तथा (चेव के) वली निश्चे, गणपच्चासमी (नूदिन्ना के०) नूत दिन्ना, (च के०) वली पच्चासमी (सेणा के०) सेना,एकावन्नमी (वेणा के०) वेणा, बावन्नमी (रेणा के०) रेणा, ए सात (नयणी के ) नगिनीयो, (थूलिनदस्स के०) श्रीस्थूलिनजीनी जाणवी ॥ १५ ॥ श्चाइ महासख, जयंति अकलंकसीलकलिआ ॥ अझवि वजाइ जासिं, जस पमहो तिहुअणे सयले ॥ १३ ॥ ४ ॥ __ अर्थः-(श्च्चार के०) इत्यादिक बीजी पण कमलावती, लीलावती, मानवती, मृगांकलेखा, चंडलेखा, मयणासुंदरी, कौशल्या प्रमुख ( महा सा के०) जे महोटी सतीयो ते सर्वे. ( जयंति के०) जयवंती ,
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