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________________ अनुक्रमणिका. अनुक्रमांक. ग्रंथोनां नाम. पृष्ठांक. ज् पञ्चरकाण पारवानो विधि. .... .... ३७० ए सामायिक लेवानो विधि. ..... ३७० ए सामायिक पारवानो विधि. .... ..... ३७१ ए? पमिलेहण करवानो विधि. .... ..... ३७१ एए देव वांदवानो विधि. ए३ देवसि प्रतिक्रमण विधि. .... ..... ३७१ एव राश् प्रतिक्रमण विधि. .... .... ३७३ एए परिक प्रतिक्रमण विधि. .... ..... ३७४ ए६ चउम्मासी प्रतिक्रमण विधि. .... .... ३७६ ए सांवत्सरी प्रतिक्रमण विधि. ..... ____ .... ३७६ ए पोसह पारवानो विधि. या ग्रंथनी प्रस्तावनाना पृष्ठ. एए उ आवश्यकनां नाम तथा तेनो संदेपें अर्थ. .... .... ३७६ १०० ब आवश्यकें सात नयनुं प्रथम हार. .... ..... १०१ आवश्यकें कालादिक पांच कारण- बीजुं हार..... १२ आवश्यकें उत्पाद, व्यय अने ध्रुवनुं त्रीजुं छार. १०३ उ आवश्यकें हेय, झेय अने उपादेयतुं चोथु छार. १०४ ब आवश्यकें षट्रव्यना व्यवहारनुं पाचमुंहार. .... .... ३० १०५ व आवश्यक मांहेलु कयुं कयुं आवश्यक नवतत्त्वमांहेला कया कया तत्त्वमां ? ते कहेवानुं हुं हार. ... .... ३०० १०६ ब आवश्यकें सप्तनंगी विचारवानुं सातमुंहार. .... .... ३० १०७ ब आवश्यकें चार निदेपा तथा क्षेत्र अने काल- आठमुं छार.३०१ १०७ पोसहमां चोवीश मंगल करवां, तेनां नाम. .... .... ३२ ॥अथ देववंदनादि नाष्यत्रयानुक्रमणिका ॥ १०ए तत्र प्रथम चैत्यवंदन नाष्यस्यानुक्रमणिका प्रारज्यते. १ चैत्यवंदननो विधि चोवीश छारें सचवाय , तेनां नाम. ३७४ २ प्रथम निसिही आदिक दश त्रिकना छार- सविस्तर नेद प्रतिनेद सहित खरूप, तथा ए दश त्रिकमांहेलोकयो कयो नेद क्या क्या करवो ? इत्यादि.. .... .... ३७ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003850
Book TitlePratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1906
Total Pages620
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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