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________________ अनुक्रमणिका. ३ अनुक्रमांक. ग्रंथोनां नाम. पृष्ठांक ३३ श्रावक पक्किमणसूत्र अथवा वंदितासूत्र अर्थसहित एमां श्राव saureater एकशो चोवीश अतिचारोनो विवरो करयो बे. ११७ યજ્ઞ १५ए १६० १६१ १६३ १६३ १६४ ३४ हिं गुरुखामणां अर्थसहित. ३५ आयरिय उवझाए अर्थ सहित. ३६ नमोस्तु वर्द्धमानाय अर्थसहित. ३७ विशाल लोचन अर्थसहित. ३८ सङ्घस्सवि देवसियं अर्थसहित...... .... ४६ चकसाय परिमरण अर्थसहित. ४७ पोसहनुं पञ्चरकाण, करेमि जंते पोसहं ए अर्थसहित. ४० पोसह पारवानी गाथा, सागरचंदो कामो अर्थसहित. ४ जरदेसरनी सजाय अर्थसहित नरहेसर बाहुबली. ५० मन्दजिणारांनी सद्याय अर्थसहित. ५१ संथारा पोरिसी अर्थसहित. ५२ ज्ञानपंचमी स्तुति, श्रीनेमिः पंचरूप अर्थसहित. ५३ सकलाईत् अर्थसहित. २४ श्रावक पाक्षिकादि संदेपा तिचार. Jain Educationa International ३० श्रुतदेवता तथा क्षेत्रदेवतानी स्तुति अर्थसहित. ४० कमलदलनी स्तुति श्रर्थसहित. ४१ वनदेवतानी स्तुति तथा ज्ञानादिगुणयुतानां अर्थसहित. ४२ अासु मुनिवंदन अर्थसहित. ४३ वरकनक अथवा सप्ततिशत जिन स्तुति अर्थसहित. ४४ सकल तीर्थ वंदूं कर जोक. तीर्थवंदना. ४५ लघुशांतिस्तव अर्थसहित तथा एनी उत्पत्ति पण देखामी बे.... १६८ १६७ 299 ... For Personal and Private Use Only .... **** .... .... .... **** .... 0908 .... .... .... 290 კედ १० १६ १ १४ ჯდე २१० २१७ २५ श्रावक पाक्षिकादि विस्तारा तिचार. ५६ नवस्मरण मध्यें प्रथम पंचपरमेष्ठि नमस्कार, संक्षेप अर्थसहित. २२६ ५७ उवसग्गहरं द्वितीय स्मरणनो अर्थ चम्मोतेरमां पेचमा लखायो बे. २२७ 4G संतिकरस्तोत्रनामक तृतीयस्मरण अर्थसहित. ५० तिजयपटुत्त नामक चतुर्थस्मरण अर्थसहित. श् २३५ .... .... ... .... **** .... .... .... १६५ १६६ १६६ .... www.jainelibrary.org
SR No.003850
Book TitlePratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1906
Total Pages620
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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