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अलं ॥ ववगय कम्मर यमलं, गई गयं सासयं विजलं ॥३५॥ गाहा॥ तं बहु गुण प्प सायं, मुरक सुहेण परमेण अविसायं ॥ नासेउ मे विसायं, कुणउ अ परिसावी अपसायं ॥३६॥ गाहा ॥ तं मोएउ अनंदि, पावेज अ नंदिसेण मनि नंदि ॥ परिसावि य सुह नंदि, ममय दिसन संजमे नंदि ॥ ३७॥ गाहा ॥ पारका चाउम्मासे, सं वजरिए अवस्स नणिअहो ॥ सो अबो सवेहि, उवसग्ग निवारणो एसो ॥ ३० ॥ गाहा ॥ जो पढ
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