________________
२२
मित्र बला विजल कुला ॥ पण मामि ते जव जय मूरण, जग सरया मम सरणं ॥ १३ ॥ चित्तलेहा देव दाणविंद चंद सूर बंद ह5 तुह जिह परम, लघु रूव धंत रूप्प पट्ट सेय सुद्ध निद्ध धवल ॥ दंत पंति संति सन्ति किति मुत्ति जुत्ति गुति पवर, दित्त तेा वंद धेा सब लो नाविका प्पजावा पइस मे समाहिं ॥ १४ ॥ नाराय ॥ विमल ससि कला इरेका सोमं वि तिमिर सूर कराइरेा तेां ॥ तिअसवर गणाइरे रूवं, धरणिधर
Jain Educationa Internationalsonal and Private Use www.jainelibrary.org