________________ 176 प्रजु नजले मेरा दिल राजी, प्रनु नजले. प्रजु-टेक. यो पहोरकी चोसठ घमीयां, दो घमीयां जीन साजी. प्रनु.१ दान पुण्य कबु धरम करले, मोह मायाकु त्यागी, प्रतु. 2 आनंदघन कहे समज समज ले, आखर खोवेगा बाजी. प्रजु. 3 // समाप्त // Jain Educationa Interhaticelsonal and Private Use volyy.jainelibrary.org