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________________ ६१ हूँ. . . ? ढीठ कहीं का । जानता है तू कौन है, और मैं कौन हूँ ? तू मेरा जनम-जनम का बैरी है । याद कर · · ·याद कर अपना वह पूर्व जन्म । जब तू अपने त्रिपृष्ठ वासुदेव के भव में, त्रिखंड साम्राज्य के मद से चूर था। तब मैं अपने जंगल राज्य का एकाधिपति सिंह था। तू आखेट पर निकला था। अपने क्रीड़ाकौतूहल को तृप्त करने के लिए तूने मेरे वनराज्य की शांति भंग की थी। मैं अपनी एकान्त गुफा में सुखासीन लेटा था। और तूने वहाँ आ कर खेल-खेल में मेरा वध कर दिया था। जनम-जनम से उस वैर की अग्नि में भस्म होता हुआ, मैं तेरी खोज में कई योनियों में भटकता रहा · ·। आज आया है तू मेरे पंजे में । आज तेरी हड्डी-हड्डी को बेध कर, मैं अपने वैर का प्रतिशोध करूँगा।' हूँ. . . ? ओ धृष्ट, ओ मेरे आदिम हत्यारे । बोलता क्यों नहीं है रे ! 'जानता है, मैं कौन हूँ ?' 'जललोक के अधीश्वर सुद्रंष्ट्र नागकुमार को पहचान रहा हूँ।' 'और जानते हुए भी फिर एक बार तू मेरी आत्मा की शांति भंग करने आया है ? निर्लज्ज, हत्यारे !' 'भंग करने नहीं, लौटाने आया हूँ तुम्हारी शान्ति । तुम्हारे वर का ऋण चुकाने आया हूँ, बन्धु ! 'अपराधी हो कर बड़बोली करता है रे, कृतान्त !' 'बुज्झह, बुज्झह, नागकुमार ।' 'साधु के छद्मवेश में तू फिर मुझे छलने आया है ? मेरे मान पर चोट करने आया है, दुरात्मा !' 'तो परीक्षा कर देखो, सौम्य ! सम्मुख हूँ।' और भीषण गर्जना से पातालों को थर्राती हुई वह दानवाकृति मुझ पर टूट पड़ी । अपनी फूत्कारों से प्रकाण्ड मगर-मच्छ और अजगरों की राशियाँ फेंकता वह मेरी अंतड़ियों में धंसने लगा। ___'सुद्रंष्ट्र, आओ मेरे भीतर । मेरी बोटी-बोटी को छेद कर अपनी वैराग्नि को तृप्त करो, मित्र !' वह रुद्र से रुद्रतर होता हुआ मेरे अस्थि-बन्धों को बींधने के लिए छटपटाने लगा। मैं निश्चल से निश्चलतर होता हुआ, उसके आत्म-प्रदेशों में जलधारासा चुपचाप सरसराने लगा। वह बार-हार हार कर, अधिक प्रचंड वेग से मुझ पर अपने को पछाड़ने लगा। मानों समस्त जललोक मेरे भीतर धंसने को अकुला Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003846
Book TitleAnuttar Yogi Tirthankar Mahavir Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVirendrakumar Jain
PublisherVeer Nirvan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1979
Total Pages400
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Biography
File Size6 MB
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