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"लेकिन नहीं, अर्हत् तत्वों के स्वतंत्र स्वभाव का अपहरण नहीं करते। उन्होंने हर तत्व को इतना स्वतंत्र रक्खा है, कि वह अपने आप में एक पूरा विश्व है, इतिहास है। वे सारे विश्व और इतिहास आपस में टकराते हैं। ग्रह-तारा मण्डलों में घर्षण होता है। सृष्टि में प्रलय और उदय का नाटक अटूट चलता है। लेकिन जिनेश्वर उसमें हस्तक्षेप नहीं करते।
जिनेश्वरों का अनन्त वीर्य, अपने आत्म के ज्योतिलिंग में अविकम्प, अपने ही स्वरूप में परिणमनशील रहता है। वे अक्षर पुरुष कभी क्षरित नहीं होते। उनका अक्षरित रेतस् अपनी अविकम्पता में से ही शक्ति के ऐसे विद्युत्समुद्र प्रवाहित करता है, कि वे बिना किसी संकल्प या कर्तत्व के भी समग्र सत्ता में खामोश अतिक्रान्तियाँ और रूपान्तर उपस्थित कर देते हैं। अर्हतों के उस अनन्त वीर्य को मैं अपने हृदय के पद्म में निष्कम्प पारद की तरह धारण किये हूँ।
"वस्तुओं का दर्शन मेरा अनन्त हो गया है। आँख से परे, हर वस्तु को उसके अनन्त परिणमन में देख रहा हूँ। उसके सारे द्रव्य-पर्यायों को एकाग्र यहाँ अभी इस सामने के उजाले की तरह देख रहा हूँ। और देखते ही देखते, भीतर तमाम चीजें पूरम्पूर रोशन हो उठती हैं। हर चीज़ अपने मूल में रोशनी के एक बीज या तरंग की तरह सामने आती हैं । और मेरी चेतना के स्फटिक जल में जैसे नाना रंगिम मणियों की मंजूषा खुल पड़ती है । मणियां, जो जीवन के ऊर्जा-बीज हैं।
__ "देखना और जानना एक युगपत् क्रिया में हो रहा है। सूर्योदय हो रहा है, और उसी क्षण उसके विराट् रश्मि-बिम्ब लोकालोक पर व्याप रहे हैं। अनन्त ज्ञान के इस वातायन पर सौन्दर्य, प्रीति और आनन्द का पूर्ण सम्भोग चल रहा है। काव्य और कलाएँ मेरे भीतर से नाना रंगी रोशनी के फौवारों से फूट रहे हैं।
प्रत्यक्ष है मेरा यह देखना, जानना, मिलना। शरीर के दुर्ग और इन्द्रियों की खिड़कियों का यह कायल नहीं । सारी इन्द्रियाँ एक ही मण्डलाकार वातायन में खुल गयी हैं। एक ही ज्योतिर्मय नेत्र में एकीभूत हो गयी हैं। रूप ही रंग हो गया है, रंग ही स्पर्श हो गया है, स्पर्श ही गन्ध हो गया है, गन्ध ही ध्वनि हो गयी है। और ध्वनि ही मेरा चिदाकाश हो कर छा गयी है। जिसमें मैं उन्मुक्त हंस की तरह तैरता रहता हूँ।
वस्तु के और मेरे बीच के सम्वाद और सम्प्रेषण के लिये कोई माध्यम अंब ज़रूरी नहीं रह गया है । अपने नग्न ज्ञान शरीर से, वस्तु के नग्न परिणमन के साथ सीधा टकरा रहा हूँ। समुद्र अपने आप को ही तैर कर पार
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